पोस्टर बताएगा, क्या और कितना पढ़ाएं शिक्षक
शक्षा निदेशक आशीष कोहली प्रदेश के सरकारी स्कूलों मे
साक्षात्कार
शिक्षा निदेशक आशीष कोहली
रविंद्र शर्मा, शिमला
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रदेश व केंद्रीय स्तर पर कई योजनाएं चल रही हैं। इसमें विद्यार्थियों के लिए भी काफी कुछ किया जा रहा है, जबकि शिक्षकों को भी प्रशिक्षण मिल रहे हैं। शिक्षा विभाग की भावी योजनाओं, मौजूदा कुछ मुद्दों और गुणात्मक शिक्षा की ओर विभागीय प्रयासों की पड़ताल के लिए दैनिक जागरण ने समग्र शिक्षा निदेशालय के निदेशक आशीष कोहली से बात की। प्रस्तुत है उनसे साक्षात्कार के कुछ अंश.. - प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
: अगले सत्र से सभी कक्षाओं में शिक्षकों के लिए पोस्टर लगाने की योजना है, जिसमें दर्शाया जाएगा कि कक्षा में किस शिक्षक को क्या व कितना पढ़ाना है। निदेशालय ने छठी और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए प्रश्न बैंक तैयार किए हैं। इस प्रश्न बैंक की मदद से शिक्षकों को भी पढ़ाने में मदद मिलेगी और विद्यार्थियों को भी अपने सिलेबस से संबंधित अतिरिक्त प्रश्न हल करने को मिलेंगे। प्रदेश में अगले वर्ष पहली से पांचवी कक्षा के लिए भी प्रश्न बैंक तैयार किया जा रहा है। - पहले सर्वशिक्षा अभियान था, अब समग्र शिक्षा हो गया है। इससे क्या असर पड़ा?
: देखिए, सर्वशिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और टीचर एजुकेशन योजनाओं के लिए अलग-अलग प्रस्ताव तैयार करने पड़ते थे और केंद्र सरकार भी अलग-अलग बजट जारी करती थी। अब इसे समग्र शिक्षा के तहत लाया गया है, जिसमें कुछ बदलाव भी हुए हैं। समग्र शिक्षा में प्री नर्सरी कक्षा को भी शामिल किया गया है। तीनों योजनाओं के लिए केंद्र सरकार समग्र शिक्षा के तहत ही बजट जारी कर रही है। - पहली से आठवीं कक्षा तक फेल न करने की नीति में बदलाव की योजना थी, क्या हुआ है?
: पहली से आठवीं कक्षा तक फेल न करने का प्रावधान शिक्षा का अधिकार अधिनियम में है। इस नीति में बदलाव करने के लिए हिमाचल सहित कई राज्यों ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। पता चला है कि केंद्र सरकार इसे लेकर बिल लाने जा रही है। हिमाचल सहित अधिकतर राज्यों ने फेल करने की नीति को दोबारा लागू करने की बात कही है। - प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने वाले शिक्षकों की जिम्मेदारी तय करने के लिए क्या किया गया?
: फिलहाल तो कुछ नहीं, लेकिन विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए निदेशालय और शिक्षा बोर्ड प्रश्न पत्र तैयार कर स्कूलों को भेजता है। सभी स्कूलों की मूल्याकंन रिपोर्ट को ऑनलाइन किया जाता है। जिस स्कूल के बच्चों के सबसे कम ग्रेड होते हैं, उसे अन्य स्कूलों की मूल्यांकन रिपोर्ट देखने को कहा जाता है। जैसे ही कक्षाओं में फेल करने की नीति दोबारा लागू होती है तो ऐसे शिक्षकों की जिम्मेदारी भी अन्य शिक्षकों की तरह तय हो जाएगी।