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सैनिटाइजर घोटाले की जांच पूरी, कई कर्मियों पर जांच की आंच

सैनिटाइजर घोटाले की विजिलेंस जांच पूरी हो गई है। अब आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 08:39 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 08:39 PM (IST)
सैनिटाइजर घोटाले की जांच पूरी, कई कर्मियों पर जांच की आंच
सैनिटाइजर घोटाले की जांच पूरी, कई कर्मियों पर जांच की आंच

राज्य ब्यूरो, शिमला : सैनिटाइजर घोटाले की विजिलेंस जांच पूरी हो गई है। अब आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होगी। अभी सरकार से उप सचिव रैंक की एक महिला अधिकारी के खिलाफ अभियोजन मंजूरी नहीं मिल पाई है। आरोपित पांच अन्य अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ सरकार से अभियोजन स्वीकृति मिल चुकी है। जांच की आंच सचिवालय के कई कर्मचारियों तक पहुंची है।

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सरकार ने इस मामले में शुरू में केवल एक अधीक्षक पर विभागीय कार्रवाई की थी। तब उसे भी आरोपित नहीं बनाया गया था। अप्रैल में विजिलेंस ने एक सप्लायर के खिलाफ केस दर्ज किया था मगर उसे भी गिरफ्तार नहीं किया। जांच के दौरान कई अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। इसके आधार पर इन्हें आरोपित बनाया गया है। सचिवालय प्रशासनिक विभाग (एसएडी) की जांच के आधार पर छह अधिकारियों व कर्मियों को नोटिस जारी किए गए थे। उन्हें कारण बताओ नोटिस में पक्ष रखने को कहा गया था। सभी ने विभाग को जवाब दे दिया था। इसमें सभी ने अपने आप को बेकसूर बताया है। इनमें से एक अधिकारी घोटाले के दौरान अवकाश पर थीं। इसके बावजूद उन्हें भी नोटिस दिया गया था।

ललित कुमार की कंपनी ने टेंडर के माध्यम से सैनिटाइजर का ठेका लिया था। सचिवालय प्रशासनिक विभाग की ओर से सैनिटाइजर की तीन हजार बोतलों का ऑर्डर दिया गया। प्रति बोतल दाम 130 रुपये स्वीकृत हुए थे। इसके बावजूद एक बोतल पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का मार्का 150 रुपये का लगाया गया। हालांकि बिल 130 रुपये का दिया गया। इसके बाद दूसरा ऑर्डर तीन हजार बोतलों का दिया गया। सप्लाई के बाद कहा गया कि सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार 100 मिलीलीटर बोतल की कीमत 50 रुपये ही दी जा सकती है। इससे पहले कि बिल का भुगतान होता, गड़बड़झाला उजागर हो गया और बिल रोक दिया गया।

------- सैनिटाइजर घोटाला हुआ ही नहीं। विजिलेंस ने मुझसे कई बार पूछताछ की है। मुझे गिरफ्तार नहीं किया गया। टेंडर में मैंने सबसे कम रेट दिया था। दाम 130 रुपये स्वीकृत हुए थे। दो बार सप्लाई की गई और 150 रुपये एमआरपी का मार्का भी मैंने ही लगाया मगर बिल 130 रुपये के हिसाब से ही दिए गए। पहली बार ठेकेदारी की है। मुझे दिशानिर्देश के संबंध में पता नहीं, ये तो विभाग को देखना चाहिए था। मेरे पास लोक निर्माण विभाग का डी क्लास का लाइलेंस है।

ललित कुमार, आरोपित ठेकेदार


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