मंत्रिमंडल विस्तार में भी चौंका गई भाजपा
रोहित नागपाल शिमला जिसका लंबे समय से था इंतजार अंतत हो गया वही मंत्रिमंडल विस्तार।
रोहित नागपाल, शिमला
जिसका लंबे समय से था इंतजार, अंतत: हो गया वही मंत्रिमंडल विस्तार। बदलती हुई भारतीय जनता पार्टी अब प्रयोगवादी हो रही है। संभवत: इसीलिए परिणाम पूरे देश में बेहतर मिल रहे हैं। जयराम सरकार में आलाकमान की संस्तुति के बाद जो भी बड़े फैसले हुए हैं, वे सभी प्रयोगधर्मी दिखे। इन फैसलों ने राजनीतिक समझ रखने वालों को भी हैरत में डाल दिया है। बेशक राकेश पठानिया का नाम मंत्रिपद के लिए लंबे समय से तैर रहा था.. चर्चा सुखराम चौधरी की भी हो जाती थी लेकिन घुमारवीं के राजेंद्र गर्ग की ताजपोशी ने एक बार फिर चौंकाया है।
आइए, चौंकाने के क्रम देखते हैं। जनवरी 2020 में डॉ. राजीव बिंदल को प्रदेश पार्टी की कमान सौंपी तो कुछ ही समय बाद विपिन परमार को मंत्रिमंडल से विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई। चार माह बाद डॉ. बिदल ने त्यागपत्र दिया तो फिर से नए अध्यक्ष के लिए लॉबिग होने लगी। प्रदेश से लेकर दिल्ली तक नेता लगातार लॉबिंग करते रहे। इसी बीच सिरमौर जिले से शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप को हिमाचल भाजपा का अध्यक्ष बनाकर चौंका दिया। यानी नए चेहरे पर पार्टी ने फिर से विश्वास जताया।
इसके बाद प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार के कयास लगाए जाने लगे। इसमें दिग्गज विधायकों के नाम सामने आए। सभी तलबगार अपने आकाओं से संपर्क साधते रहे। राजनीतिक गलियारों में कई दिग्गजों के नाम तक घूमे। हालांकि आलाकमान से जिन नामों पर मुहर लगी उनमें पुराना नाम केवल एक था। दूसरा नाम चर्चा में था, लेकिन काफी दूर। तीसरा न चर्चा में था और न ही किसी के जहन में। भाजपा नए एवं साफ छवि वाले चेहरों को आगे लाकर अगले चुनाव में जनता के बीच जाने की तैयारी में है। राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि पार्टी अब पूरी तरह से बदल गई है और लगातार प्रयोग कर रही है।
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पूर्व सरकार में मंत्री अब हैं विधायक
भाजपा की पूर्व सरकार में मंत्री रहे तीन बड़े नेता अब विधायक ही हैं। हालांकि सरकार ने दो को कैबिनेट का दर्जा दे रखा है, लेकिन मंत्रिमंडल के सदस्य नहीं हैं। इनमें जुब्बल कोटखाई से नरेंद्र बरागटा, ज्वालामुखी से रमेश धवाला और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल शामिल हैं।