सेना की मदद से हटेंगे वन भूमि से कब्जे
कोर्ट ने इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए खेद जताया कि किस तरह सरकार की कार्यप्रणाली कानून व्यवस्था बनाने में लगी है?
शिमला, जेएनएन। प्रदेश हाईकोर्ट ने अवैध कब्जे हटाने के लिए सख्ती दिखाई है। वन भूमि से अब भारतीय सेना की ईको टास्क फोर्स कब्जे हटाएगी। कोर्ट ने अवैध कब्जे छुड़ाने के आदेश का पालन करने के लिए ईको टास्क फोर्स के जवानों को तैनात करने के आदेश दिए। वे इस काम के लिए गठित पुरानी एसआइटी के सदस्यों की मदद करेंगे।
ईको टास्क फोर्स के जवान सुनिश्चित करेंगे कि जितने अवैध कब्जे वन भूमि व सरकारी भूमि पर किए गए हैं, उन्हें तुरंत प्रभाव से हटा दिया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान एमिक्स क्यूरी ने कोर्ट को एक पत्र सौंपा। इसमें कब्जाधारियों के नामों का खुलासा किया गया है। कोर्ट ने इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए खेद जताया कि किस तरह सरकार की कार्यप्रणाली कानून व्यवस्था बनाने में लगी है? कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि न्याय की दृष्टि से अब यह जरूरी हो जाता है कि गत 25 अप्रैल को जिस एसआइटी का गठन किया गया था, वहीं कोटखाई तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव जलाथा, चैथला, पुंगरिश पांदली, क्लेमू व जुब्बल तहसील के गांव बदहाल में जाए और सरकारी भूमि से अवैध कब्जे तुरंत हटाए।
जुब्बल तहसील के छाजपुर के 13 बड़े कब्जाधारियों के कब्जे हटाने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट ने एसआइटी का गठन किया था। एसआइटी में अतिरिक्त उपायुक्त शिमला देवासवेटा वैनिक, पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज डरोह की प्रिंसिपल आइपीएस अधिकारी सौम्या सांबशिवन व चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट आलोक नागर थे। न्यायालय ने 24 जुलाई को एक्शन रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दायर करने के आदेश पारित किए। उपायुक्त शिमला को आदेश दिए कि वह एसआइटी को मदद करने के लिए कुशल व तकनीकी तौर पर काबिल लोगों को तैनात करें।
कब्जे हटाने के लिए 125 कर्मी तैनात
प्रधान मुख्य अरण्यपाल ने न्यायालय को बताया कि अवैध कब्जे हटाने के लिए केवल 125 कर्मियों को तैनात किया गया है । न्यायालय ने पाया कि अवैध कब्जों की संख्या को देखते हुए इनकी संख्या बहुत कम है। इस पर न्यायालय ने भारतीय सेना की ईको टास्क फोर्स के जवानों को भी तैनात करने के आदेश पारित किए। मामले पर सुनवाई 24 जुलाई को होगी।