अस्पताल में संक्रमण, घर पर कैसे ठीक होगा मरीज
जिला शिमला के जुब्बल की उषा देवी आईजीएमसी के महिला मैडिसन वार्ड में पिछले चार महीनों से जीवन और मौत के बीच लड़ रही है।
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल से एक गंभीर बीमार महिला को यह कह कर घेर भेजा जा रहा है कि उसे वार्ड में संक्रमण हो रहा है। हालांकि महिला की हालत ऐसी है कि उसे घर तक पहुंचाना भी आसान नहीं है।
जिला शिमला के जुब्बल की ऊषा देवी इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) के महिला मेडिसिन वार्ड में तीन माह से जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही है। 47 वर्षीय ऊषा के हाथ-पांव नहीं चल रहे हैं, सांस लेने के लिए पाइप डाली है और चार माह से बेड पर होने के कारण घाव भी शरीर में पड़ चुके हैं। लेकिन डॉक्टरों ने ऊषा के परिजनों को फरमान जारी कर दिया है कि इसे घर ले जाओ। यहां यह ठीक नहीं हो रही है। परिजन परेशान हैं कि रोजाना लगने वाले इंजेक्शन और ड्रेसिंग घर पर कैसे होगी। अब महिला का पति हेमराज डॉक्टरों के आगे-पीछे घूम रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। डॉक्टरों का तर्क है कि मरीज को वार्ड में संक्रमण हो रहा है, जिस कारण वह ठीक नहीं हो पा रही है। यदि ऐसा है तो मरीज के लिए कोई अन्य वार्ड की सुविधा उपलब्ध क्यों नहीं करवाई जा रही है।
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स्क्रब टायफस होने पर खुद पहुंची थी अस्पताल
जुब्बल के सिरठी गांव की ऊषा 11 अक्टूबर 2018 को स्क्रब टायफस होने पर आइजीएमसी आई थी। अस्पताल में उपचार चला, लेकिन ऊषा की तबीयत बिगड़ती गई। 12 अक्टूबर को हृदयाघात हुआ, जिसके बाद आइसीयू में दाखिल किया। 19 दिसंबर को आइसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट किया, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। किसान हेमराज और उसका परिवार मुश्किल से बीमारी का खर्च उठा रहा है। ऐसे में डॉक्टरों के इस फरमान ने उनकी परेशानियां और बढ़ा दी हैं।
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स्पेशल वार्ड दो, उठा लेंगे खर्च
ऊषा का पति हेमराज अस्पताल प्रशासन से गुहार लगा रहा है कि उसे स्पेशल वार्ड दो, वह जैसे-तैसे कर खर्च उठा लेगा, लेकिन नियमों के अनुसार उसी व्यक्ति को स्पेशल वार्ड मिल सकता है, जो आयकर भरता हो और मासिक आय 20 हजार से अधिक हो। हेमराज गरीबी रेखा से नीचे आता है और सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहा है। ऐसे में उसे स्पेशल वार्ड भी नहीं मिल सकता है।
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मेरे ध्यान में मामला आया है, मरीज को उचित कमरा उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
जनकराज, एमएस आइजीएमसी शिमला।