तीन युवाओं ने रचा इतिहास, पहुंचे ऐसी जगह जहां जाने के नाम से खड़े हो जाते हैं रोंगटे
शिमला के तीन युवकों ने महज 11 घंटों में साइकिल से दुर्गम क्षेत्र चूड़धार पहुंचकर इतिहास रच दिया है इससे पहले किसी ने इस चोटी पर चढ़ाई नहीं की है।
शिमला, रामेश्वरी ठाकुर। हौंसला हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। मजबूत इरादों से पहाड़ भी कदमों तले आ जाता है। सिरमौर जिला के दुर्गम क्षेत्र चूड़धार पर जाने के नाम से कई लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस स्थान को शिमला के तीन युवकों ने महज 11 घंटों में साइकिल से फतह कर इतिहास रचा है। इससे पहले किसी ने इस चोटी पर साइकिल से चढ़ाई नहीं की है।
हिमालयन एडवेंचर स्पोट्र्स टूरिज्म प्रोमोशन एसोसिएशन (हस्तपा) की चार सदस्यीय टीम वर्ष 2015 में साइकिल से चूड़धार गई थी। लेकिन रास्ता खस्ताहाल था। इस कारण आधे रास्ते में ही साइकिल छोड़नी पड़ी।एसोसिएशन से जुड़े 19 वर्षीय अक्षित, 18 वर्षीय आशीष शेरपा व 33 वर्षीय आशीष सूद ने यह यात्रा साइकिल से पूरा करने की ठानी। उन्होंने बताया कि साइकिल के साथ शिमला से चूड़धार की दूरी तय करने का पहला प्रयास था।
वे 28 जुलाई को शिमला से चूड़धार के लिए निकले। कड़कड़ाती ठंड, तीखे पहाड़, चट्टानें गिरने और सैकड़ों नालों की परवाह न करते हुए लगातार आगे बढ़ते रहे। मदान से चूड़धार तक चढ़ाई का अंतिम पड़ाव सबसे कठिन था। चोटी के करीब पहुंचने पर ऑक्सीजन की कमी से परेशानी हुई। लेकिन दुर्गम यात्रा के दौरान वे जरा नहीं डरे। चूड़धार तक पहुंच कर उनका सपना पूरा हुआ। वे इस यात्रा से युवाओं को असाधारण उपलब्धि हासिल करने का संदेश देना चाहते हैं। अगर युवा पीढ़ी ठान ले तो हर मुकाम को हासिल कर सकती है।
साइकिल से ये युवा पहुंचे चूड़धार
शिमला में स्टोक्स पैलेस के समीप रहने वाले आशीष सूद हीरो साइकिल कंपनी में काम करते हैं। बालूगंज निवासी अक्षित चंडीगढ़ में इंजीनियरिंग जबकि शोघी निवासी आशीष शेरपा इर्वंनग कॉलेज शिमला में बीए पहले सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे हैं।
चूड़धार का इतिहास
सिरमौर, शिमला व सोलन जिलों के अलावा उत्तराखंड के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की चूड़धार चोटी में धार्मिक आस्था है। चूड़धार को श्री शिरगुल महाराज का स्थान माना जाता है। यहां उनका मंदिर भी है। शिरगुल महाराज सिरमौर व चौपाल के देवता हैं। मान्यता है कि चूड़धार पर्वत के साथ लगते क्षेत्र में हनुमान जी को संजीवनी बूटी मिली थी। सर्दियों में यहां भारी बर्फबारी होती है। साल के अधिकतर दिन यह चोटी बर्फ से ढकी रहती है।
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