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भूकंप के आने से पूर्व मिलेंगे संकेत

आईआईटी रुड़की हिमाचल में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली को स्थापित करेगा। इसके स्थापित होने से भूकंप के आने से पूर्व भूकंप के संकेत मिल सकेंगे और जान माल की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकेगा। आईआईटी रुड़की ने हिमाचल सरकार को भूकंप प्रणाली को विकसित करने का प्रस्ताव भेजा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 10:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 10:30 PM (IST)
भूकंप के आने से पूर्व मिलेंगे संकेत
भूकंप के आने से पूर्व मिलेंगे संकेत

राज्य ब्यूरो, शिमला : आइआइटी रुड़की हिमाचल में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करेगा। इससे भूकंप के आने से पूर्व ही इसके संकेत मिल सकेंगे। ऐसा होने पर जान व माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। आइआइटी रुड़की ने हिमाचल सरकार को भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने का प्रस्ताव भेजा है।

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हिमाचल प्रदेश में भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रधान सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन ओंकार चंद शर्मा की अध्यक्षता में सचिवालय में शनिवार को बैठक हुई। ओंकार शर्मा ने कहा कि राज्य का अधिकतम क्षेत्र हिमालय में स्थित है जो दुनिया के सबसे भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक है। राज्य में भूकंप संबंधित खतरों को कम करने की दिशा में विकसित भूकंप अर्ली वार्निग सिस्टम एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है। इस संबंध में आइआइटी रुड़की ने भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। आइआइटी रुड़की ने पहले ही राज्य सरकार की सहायता से उत्तराखंड में इस तरह के भूकंप अर्ली सिस्टम को स्थापित किया है। आइआइटी रुड़की के प्रस्ताव के अनुसार राज्य के विभिन्न भागों में भूकंप सेंसर लगाए जाएंगे। ये सेंसर रियल टाइम में भूकंप से संबंधित जानकारी का पता लगाएंगे। यह चेतावनी सायरन के नेटवर्क द्वारा आम जनता को दी जा सकती है। भूकंप का केंद्र कांगड़ा या मंडी क्षेत्रों में है तो राज्य की राजधानी में लोगों को 30 से 35 सेकेंड तक का प्रतिक्रिया समय मिलेगा। इसी तरह प्रमुख शहरों के लिए अपेक्षित लीड समय यदि 1905 में हुआ कांगड़ा भूकंप माना जाए तो सोलन में प्रतिक्रिया समय 42 सेकेंड, मंडी 20 सेकेंड, डलहौजी आठ सेकेंड, देहरादून 77 सेकेंड, चंडीगढ़ 43 सेकेंड और दिल्ली में 123 सेकेंड होगा। आइआइटी रुड़की के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कमल, केंद्रीय विश्वविद्यालय कांगड़ा के डीन स्कूल ऑफ अर्थ एंड एनवायरनमेंट साइंसेज प्रो. एके महाजन, मौसम विभाग के निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह, हिमकोस्ट के प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. एसएस रंधावा और निदेशक एवं विशेष सचिव आपदा प्रबंधन डीसी राणा बैठक में उपस्थित थे।


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