शिमला में निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल पर HRTC कर्मचारी यूनियन का पलटवार, आरोपों को बताया बेबुनियाद; आखिर क्या है विवाद?
एचआरटीसी कर्मचारी यूनियन ने निजी बस ऑपरेटरों की हड़ताल की धमकी को अनुचित बताया है। यूनियन का कहना है कि एचआरटीसी जनसेवा के लिए है और ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। ऑपरेटरों की यह मांग कि 40 किलोमीटर से अधिक दूरी की बसों को शिमला में प्रवेश न दिया जाए, गरीब जनता के साथ अन्याय है। यूनियन ने निजी बसों से जाम लगने की बात भी कही है।

शिमला में निजी ऑपरेटरों की हड़ताल पर एचआरटीसी कर्मचारी यूनियन ने निशाना साधा है। प्रतीकात्मक फोटो
राज्य ब्यूरो, शिमला। एचआरटीसी सर्व कर्मचारी यूनियन महासचिव खेमेंद्र गुप्ता का कहना है कि निजी बस आपरेटर चालक-परिचालक संघ द्वारा दी गई हड़ताल की धमकी अनुचित और तथ्यों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि हिमाचल परिवहन कर्मचारी संघ इंटक, परिवहन मजदूर संघ एटक, सर्व कर्मचारी यूनियन, तकनीकी कर्मचारी संघ, चालक-परिचालक एवं निरीक्षक स्टाफ संगठन ने संयुक्त बयान जारी कर शिमला के निजी बस आपरेटर चालक-परिचालक संघ द्वारा दी गई हड़ताल की धमकी को अनुचित और तथ्यों के विपरीत करार दिया है।
एचआरटीसी को बेवजह निशाना बनाया जा रहा
संघ के पदाधिकारी समर चौहान, जिया लाल, प्यार सिंह, हरीश पराशर, ऋषि लाल, संजय बड़वाल, खेमेन्द्र गुप्ता, हितेन्द्र कंवर, खेम चंद, हरि कृष्ण, केशव वर्मा, हरि लाल, बाल कृष्ण और सुंदर लाल ने कहा कि एचआरटीसी को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निगम की सभी बसें जन मांग के आधार पर चलाई जाती हैं।
हजारों लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं शिमला
संघ ने निजी बस आपरेटरों की इस मांग को पूर्णतः अनुचित और अव्यवहारिक बताया कि 40 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली बसों को शिमला शहर में प्रवेश न दिया जाए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों से रोजाना हजारों लोग जो 42 से 45 किलोमीटर दूर से रोज़गार, व्यापार, सब्जी-दूध की आपूर्ति और इलाज के लिए शिमला आते हैं। एचआरटीसी बसों पर निर्भर हैं।
गरीब जनता के साथ अन्याय
संघ ने कहा कि इन्हें शहर के मुख्य बस अड्डे से तीन किलोमीटर पहले उतारने और आगे की यात्रा के लिए ₹10 अतिरिक्त किराया देने को मजबूर करना गरीब जनता के साथ अन्याय और निजी ऑपरेटरों के मुनाफे के लिए जनता का शोषण है।
एचआरटीसी जनसेवा संस्था
उन्होंने कहा कि एचआरटीसी एक जनसेवा संस्था है, जो समाज की लगभग 27 श्रेणियों को मुफ्त या रियायती यात्रा सुविधा प्रदान करती है। वहीं निगम की स्कूल बसें भी सरकार के निर्देशानुसार शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई जाती हैं, जबकि निजी बस आपरेटर केवल लाभ कमाने के उद्देश्य से संचालन करते हैं।
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ऑपरेटरों के आरोप को बताया बेबुनियाद
निजी बस आपरेटरों के इस आरोप को भी संघ ने बेबुनियाद बताया कि शिमला में ट्रैफिक जाम एचआरटीसी की बसों से होता है। उन्होंने कहा कि शहर में अधिकतर जाम निजी बसों की वजह से लगता है, इसकी पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से की जा सकती है।
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