सुनियोजित तो नहीं था हमला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एसएफआई और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के स्वयंसेवकों के साथ हुई खूनी झड़प सुनियोजित तरीके से थी।
अजय बन्याल, शिमला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एसएफआइ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के साथ हुई खूनी झड़प सुनियोजित तरीके से थी। पुलिस जांच में इसका खुलासा हो चुका है। पुलिस में एक एफआइआर दर्ज हुई है। इसमें एक छात्र विकास ने आरोप लगाया कि एसएफआइ के कुछ कार्यकर्ता शनिवार को उसके कमरे में आए औैर रातभर बंद करके रखा। यहीं नहीं उसे पीटा था। विकास ने बताया कि उससे पूछा था कि सुबह ग्राउंड में आरएसएस की शाखा कब लगती है। इसके बाद विकास को कमरे में बंद कर दिया। आरोप लगाया कि एसएफआइ के कार्यकर्ता रात को दो तीन बार उसके कमरे में आते रहे। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि हमला सुनियोजित था।
रविवार सुबह हर दिन की तरह करीब छह बजे विवि में पढ़ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक ग्राउंड में शाखा लगाने के लिए एकत्रित होने लगे तो एसएफआइ के करीब 50 से अधिक कार्यकर्ता पहले से वहां पर मौजूद थे। एसएफआइ के कार्यकर्ता किक्रेट खेल रहे थे। एसएफआइ के कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों के साथ शाखा लगाने को लेकर कहासुनी शुरू हो गई। दोनों पक्षों में डंडे, रॉड और तेजधार हथियारों से मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान करीब 15 छात्र घायल हुए। बताया जा रहा है कि अगर ये हमला सुनियोजित न होता तो किक्रेट खेलने वाले छात्रों के पास दराट, रॉड नहीं होते। आरएसएस की शाखा में जाने वाले स्वयंसेवकों के पास संघ दंड होता ही है। इस वजह से पुलिस को पूरी घटना के सुनियोजित तरीके से होने के सबूत मिलते नजर आ रहे है।
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पहले भी हुई थी कहासुनी
कुछ दिन पूर्व ही एसएफआइ के कार्यकर्ताओं के साथ आरएसएस के स्वयंसेवकों की कहासुनी हुई थी। उस दिन शाखा लगाने पर विवाद हुआ था। हालांकि बाद में मामला शांत हो गया था। इसी के बाद क्रिकेट खेलना शुरू किया था। इससे पहले एसएफआइ के कार्यकर्ता हर रोज ग्राउंड में क्रिकेट खेलने के लिए तड़के नहीं आते थे।
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एसएफआइ के कार्यकर्ताओं ने एक छात्र का रात को अगवा किया था और उससे शाखा का समय पूछा था। ये बात अभी तक जांच में सामने आई हैं। इस मामले की पुलिस जांच कर कर रही है। दोनों पक्षों की ओर से एफआइआर दर्ज कर ली गई है। आरोपितों को शीघ्र गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
-ओमापति जम्वाल,
पुलिस अधीक्षक शिमला।