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प्रारंभिक जांच में मिली अनियमितताएं

जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षा एवं मुक्त अध्ययन

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:37 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:37 PM (IST)
प्रारंभिक जांच में मिली अनियमितताएं
प्रारंभिक जांच में मिली अनियमितताएं

जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षा एवं मुक्त अध्ययन केंद्र (इक्डोल) में प्रॉस्पेक्टस बिक्री में हेरफेर की प्रारंभिक रिपोर्ट एजी कार्यालय की टीम ने वीरवार को सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार जांच में प्रॉस्पेक्टस बिक्री में अनियमितताओं के सुबूत मिले हैं। मामला 88 लाख रुपये के हेरफेर का है। जो रिकॉर्ड मुहैया करवाया गया है उसके मुताबिक बिके हुए प्रॉस्पेक्टस की आय जमा ही नहीं हुई है। रिकॉर्ड भी आधा अधूरा है। कैश बुक जांच टीम को मिली ही नहीं है। एजी आडिट टीम ने जांच पूरी कर ली है। एजी आडिट टीम अब शुक्रवार से विवि की आडिट शाखा के रिकॉर्ड को कब्जे में लेगी। विवि प्रशासन इस मामले को तूल नहीं देना चाहता है। रिकवरी पूरी करने के बाद विवि प्रशासन विभागीय जांच करवाने के पक्ष में है, जबकि वित्तीय अनियमितता पाए जाने के कारण मामला पुलिस में दर्ज हो सकता है।

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कर्मचारी रिकवरी भरने को तैयार

इस पूरे मामले में कर्मचारी 88 लाख रुपये की रिकवरी भरने को तैयार है। उसने लिखित में यह नहीं बताया कि कब तक सारी रिकवरी भर देगा। हालांकि 16 लाख रुपये जमा करवाए जा चुके है। इसे विवि प्रशासन अपनी उपलब्धि मान रहा है। अब विवि प्रशासन को लग रहा है कि कर्मचारी तुरंत शेष राशि भर देगा और घाटे की भरपाई हो जाएगी।

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16 लाख जमा करवाने में फंस सकते हैं कई कर्मचारी

जब इस मामले की हेरफेर सामने आए तो सूत्रों के मुताबिक संलिप्त कर्मचारी ने 16 लाख रुपये जमा करवाए है। ऐसे में विवि प्रशासन इस मामले को पूरी तरह ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी में था। मगर अचानक मामला लीक हो गया। ऐसे में किस अधिकारी या आला कर्मचारी के इशारे पर 16 लाख विवि के खाते में जमा करवाए गए। इससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

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अभी जो कमेटी आंतरिक रूप से गठित की है उसकी जांच रिपोर्ट नहीं आई। कर्मचारी के खिलाफ आवश्यक कारवाई करने की फाइल रजिस्ट्रार कार्यालय में भेज दी है।

-कुलवंत पठानिया, निदेशक इक्डोल केंद्र एचपीयू।

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जब में इक्डोल के निदेशक पद पर था मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अगर सूचना होती तो अवश्य कार्रवाई करता।

-प्रो. पीके वैद्य, पूर्व निदेशक।


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