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Happy holi 2019: जानिये कैसे तैयार होते हैं होली के ये जानलेवा रंग, नीले से एलर्जी तो कैंसर का कारण है ये खास रंग

Happy holi 2019 होली पर रसायन वाले रंगों का प्रयोग करने से हम कई प्रकार के घातक रोगों का शिकार हो सकते हैं।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 12:47 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 12:52 PM (IST)
Happy holi 2019: जानिये कैसे तैयार होते हैं होली के ये जानलेवा रंग, नीले से एलर्जी तो कैंसर का कारण है ये खास रंग
Happy holi 2019: जानिये कैसे तैयार होते हैं होली के ये जानलेवा रंग, नीले से एलर्जी तो कैंसर का कारण है ये खास रंग

शिमला, जेएनएन।  Happy holi 2019 होली रंगों का त्योहार है, लेकिन यही रंग कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। रसायन मिले रंग और शीशे मिले रंग कैंसर का कारण बन सकते हैं। घर में प्राकृतिक तौर पर स्वयं भी रंगों को तैयार किया जा सकता है जो त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं। रंग बनाने वाले विभिन्न प्रकार के रसायन का प्रयोग तो करते ही हैं। साथ ही बालू व मिट्टी आदि भी मिलाते हैं, ताकि ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। इन रंगों के इस्तेमाल से त्वचा खराब हो सकती है। होली के दौरान मिलावटी रंग कितने घातक हो सकते हैं और किस तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं इस संबंध में आइजीएमसी के त्वचा रोग विशेषज्ञ एसोसिएट प्रोफेसर घनश्याम वर्मा ने बताया कि त्वचा रोग के साथ कैंसर तक पैदा कर सकते हैं। घनश्याम वर्मा से की बातचीत के मुख्य अंश।

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होली के दौरान प्रयोग होने वाले रंग कितने फायदेमंद और नुकसानदायक होते हैं?

होली में तीन तरह के रंग बाजार में आते हैं इनमें प्राकृतिक रंग, रासायनिक रंग और शीशे मिले चमकीले रंग होते हैं। सस्ते रंगों की बिक्री अधिक हो रही है, ये रासायनिक रंग नुकसान पहुंचा सकते हैं। त्वचा के लिए यह रंग बेहद घातक हैं और व्यक्ति को अंधा तक कर सकते हैं, जहां तक संभव हो आंखों को हर तरह के रंग से बचाएं और प्राकृतिक रंगों को घर पर ही बनाएं। प्राकृतिक रंग महंगे जरूर होते हैं, लेकिन ये भी जरूरी नहीं कि हर महंगा रंग प्राकृतिक हो। प्राकृतिक रंगों की पहचान करना भी आसान नहीं है, इसलिए घर पर स्वयं प्राकृतिक रंग तैयार करना ज्यादा फायदेमंद है।

रासायनिक रंग किस तरह से घातक और क्या प्रभाव डालते हैं?

केमिकल युक्त रंग से शरीर की त्वचा शुष्क हो जाती है। इससे त्वचा चटकने लगती है और जो एलर्जी का विकराल रूप ले लेती है। चेहरे व शरीर पर लाल दाने पड़ जाते हैं। आंखों में रासायनिक रंग चला जाए तो रोशनी जाने का खतरा रहता है। रासायन युक्त रंगों से सबसे ज्यादा आंखों की पुतली को नुकसान पहुंचता है। कैंसर भी हो सकता है। हरे रंग के लिए कापर सल्फेट डाई का इस्तेमाल किया जाता है। इसके कारण अंधापन, जबकि नीला रंग बनाने के लिए पर्शियन डाई इस्तेमाल की जाती है जो त्वचा की एलर्जी कर सकती है। लाल रंग मरकरी सल्फाइड और सिल्वर कलर एल्यूमिनियम ब्रूमाइड से बनाया जाता है ये दोनों त्वचा का कैंसर कर सकते हैं। त्वचा की एलर्जी किसी को रंग लगाते ही या फिर दो तीन दिन के बाद एलर्जी हो सकती है।

प्राकृतिक रंग घर पर किस तरह से तैयार किए जा सकते हैं?

फूलों, सब्जियों, हल्दी, चंदन से रंगों को तैयार किया जा सकता है। पीला रंग हल्दी को चावल या आटे में मिलाकर, जबकि गेंदे के फूल से भी रंग तैयार किया जा सकता है। हरा रंग तैयार करने के लिए पालक, हरा धनिया और हरी गेहूं को पीस कर मेहंदी को आटे में मिलाकर भी तैयार किया जा सकता है। लालरंग को लालरंग के चंदन से, अनार के छिलके को उबालकर, नीला रंग चुकंदर की जड़ से तैयार किया जा सकता है। 

अपने आप तो प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन दूसरों से कैसे बचें?

होली खेलने से पहले पूरे शरीर को ढक लें। मुंह में क्रीम आदि लगा लें। इसी तरह से बालों को अच्छी तरह से नारियल तेल लगा लें और जब रंग को उतारना हो तो कैरोसीन का बिल्कुल इस्तेमाल न करें इससे रंग ज्यादा त्वचा में रच जाते हैं। एलर्जी होने पर तुरंत रंगों को धो लें और एंटी एलर्जी की दवा चिकित्सक की सलाह से लें।


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