उद्योग हिमाचल में खर्च करें सीएसआर फंड, बनेगी नीति : सीएम
उद्योग हिमाचल में लगाए हैं। रियायतें यहां की सरकार ने ली गई हैं। लेकिन कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉंसिबिलिटी यानी सीएसआर का पैसा दूसरे राज्यों पर खर्च कर रहे हैं। इनमें बड़े हाइडल प्रोजेक्ट भी शामिल है। मंगलवार को यह मुद्दा सदन में उठा। देहरा के विधायक होशियार ¨सह के मुताबिक उद्योगों अथवा प्रोजेक्ट चलाने वाली कंपनियों को शुद्व लाभ का दो फीसद पैसा सीएसआर गतिविधियों में खर्च करना अनिवार्य है। लेकिन राज्य में चु¨नदा उद्योगों के छोड़कर ज्यादातर इसे प्रदेश में खर्च कर रहे हैं। उन्होंने ¨चता जताई कि सरकार के पास इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है कि कितनी कंपनियां यह पैसा जमा करवा रही है और कितनी नहीं? जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार इस संबंध में नया तंत्र विकसित करेगी। इसके लिए पॉलिसी में भी आवश्वयक बदलाव करेगी। लेकिन साथ ही उद्योगपतियों के लिए भी उचित माहौल पैदा करेगी। प्रश्नकाल आरं
राज्य ब्यूरो, शिमला : उद्योग हिमाचल में लगाए हैं। रियायतें यहां की सरकार से ली गई, लेकिन कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर का पैसा दूसरे राज्यों पर खर्च किया जा रहा है। इनमें बड़े हाइडल प्रोजेक्ट भी शामिल हैं। मंगलवार को यह मुद्दा सदन में उठा। देहरा के विधायक होशियार ¨सह के मुताबिक उद्योगों अथवा प्रोजेक्ट चलाने वाली कंपनियों को शुद्ध लाभ का दो फीसद पैसा सीएसआर गतिविधियों में खर्च करना अनिवार्य है। कुछ उद्योगों को छोड़कर ज्यादातर इसे प्रदेश में खर्च नहीं कर रहे हैं। उन्होंने चिंता जताई कि सरकार के पास इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है कि कितनी कंपनियां यह पैसा जमा करवा रही हैं और कितनी नहीं?
जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार इस संबंध में नया तंत्र विकसित करेगी। पॉलिसी में बदलाव किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सीएसआर का पैसा हिमाचल में ही सामाजिक कार्यो में खर्च हों। ऐसे हालात भी पैदा न करें, जिससे उद्योगपति निरुत्साहित हों। सरकार ने उन्हें जमीन दी है, रियायतें दी हैं। उनका भी उतना ही दायित्व बनता है। अभी तक ऐसा तंत्र विकसित नहीं था कि जिससे पता चले कि कितना फंड आ गया है, कितना नहीं? कई बार तो ऐसी परिस्थितियां खड़ी हो जाती हैं कि सीएम राहत कोष के लिए उद्योगपतियों से पैसा मांगना पड़ता है। जब हम कहते हैं वे तब देते हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।
प्रश्नकाल शुरू होने पर विधायक होशियार ने सीएसआर का मामला उठाया। कहा कि उनके सवाल के जवाब में संबंधित विभाग ने केवल एक लाइन का उत्तर दिया है। नियमों के मुताबिक बोर्ड में भी स्थानीय निदेशक होने चाहिए। उन्होंने अम्ब में 400 करोड़ के ऐसे प्रोजेक्ट का जिक्र गया, जिसका कारोबार होशियारपुर में है और बिल हिमाचल के बन रहे हैं। एनएचपीसी यहां है, पर इसका पैसा भी नहीं मिल पा रहा है।
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर की गैर मौजूदगी में वन मंत्री गो¨वद सिंह ठाकुर ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उद्योग केंद्र सरकार के कॉरपोरेट अफेयर मंत्रालय के तहत आते हैं। उनका उद्योग विभाग पर सीधा नियंत्रण नहीं है। कंपनियों के कार्य पूरे भारत में चल रहे होते हैं। कहां कितना सीएसआर फंड दिया, कितना नहीं इसकी पूरी सूचना विधायक को उपलब्ध करवा दी जाएगी।
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परमजीत सिंह व आशा कुमारी ने भी पूछे सवाल
विधायक परमजीत सिंह, आशा कुमारी ने भी सवाल पूछे। परमजीत सिंह ने कहा कि बद्दी में तीन हजार उद्योग हैं, लेकिन सीएसआर का पैसा 20-25 ही दे रहे हैं बाकी दूसरे प्रदेशों में देने का बहाना बना रहे हैं। आशा कुमारी ने कहा कि एनएचपीसी का अनुभव अच्छा नहीं रहा है। क्या सरकार इस मामले को केंद्र के साथ उठाएगी? क्या कंपनियों से कमेटियां बनाई है या नहीं? उत्तर में मंत्री ने कहा कि इस मसले को प्रभावी तरीके से उठाया जाएगा। सरकार इस मामले में प्रो एक्टिव भूमिका निभाएगी।