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सुविधाएं बढ़ें तो निखरेगा पर्यटन

पर्यटन क्षेत्र राज्य की आर्थिकी की रीढ़ बन सकता है। राज्य के पास कुदरती सुंदरता का अपार खजाना है। जरूरत है तो केवल सुविधाओं का विस्तार करने की। ताकि प्रदेश में घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को सुरक्षित और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। पड़ोसी उत्तराखंड की तरह देवभूमि हिमाचल में शक्ति पीठ मौजूद हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 07:19 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 07:19 PM (IST)
सुविधाएं बढ़ें तो निखरेगा पर्यटन
सुविधाएं बढ़ें तो निखरेगा पर्यटन

प्रकाश भारद्वाज, शिमला

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पर्यटन क्षेत्र हिमाचल की आर्थिकी की रीढ़ बन सकता है। प्रदेश के पास कुदरती सुंदरता का अपार खजाना है। जरूरत केवल सुविधाओं का विस्तार करने की है ताकि पर्यटकों को दिक्कत न हो। हिमाचल के शक्तिपीठों में हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। प्रदेश में धार्मिक स्थलों को विकसित करने की जरूरत है ताकि विभिन्न राज्यों से आने वाले श्रद्धालु यहां कई दिनों तक रह सकें।

हिमाचल की पहचान पर्यटन राज्य के तौर पर बनाने के लिए बुनियादी आधारभूत ढांचा जरूरी है। प्रदेश के हर क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली सड़कें चाहिए। बड़े हवाई अड्डे और रेलमार्ग का विस्तार भी जरूरी है। बेहतर सड़कें और रेल व हवाई नेटवर्क में सुधार राज्य सरकार अकेले नहीं ला सकती है। आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार को इसके लिए केंद्र सरकार की मदद चाहिए। यदि आम बजट में सड़क, रेल व हवाई नेटवर्क में सुधार के लिए केंद्र से अधिक सहायता मिले तो हिमाचल पर्यटन क्षेत्र में दौड़ता नजर आएगा। प्रदेश की आर्थव्यवस्था में पर्यटन क्षेत्र की 6.2 फीसद हिस्सेदारी है। पर्यटन को बढ़ावा मिलने पर बेरोजगारी की समस्या का समाधान होगा। अनुमान के अनुसार पर्यटन क्षेत्र में स्थायी तौर पर दस लाख रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। कई हैं चुनौतियां

पर्यटन क्षेत्र के विस्तार में प्रदेश के सामने कई चुनौतियां हैं। हिमाचल में सड़कों की हालत पड़ोसी राज्यों की सड़कों के बराबर नहीं है। प्रदेश सरकार ने हाल ही में 69 राष्ट्रीय राजमार्गो में से 58 राष्ट्रीय राजमार्गों की विस्तृत रिपोर्ट बनाकर केंद्र को स्वीकृति के लिए भेजी है।

प्रदेश में रेल नेटवर्क नाममात्र है। दो छोटी रेललाइन अंग्रेजों के समय की हैं। इन दोनों रेललाइनों को ब्रॉडगेज किया जाना है। प्रदेश में तीनों हवाई अड्डों का रन-वे बढ़ाने की जरूरत है ताकि इनमें बड़े हवाई जहाज उतर सकें। कांगड़ा स्थित गगल हवाई अड्डे को छोड़ दें तो भुंतर व शिमला हवाई अड्डे पर छोटा विमान ही उतर सकता है। प्रदेश सरकार ने मंडी में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का मामला केंद्र सरकार के सामने रखा है। चाहे हवाई अड्डों का विस्तारीकरण हो या रेल नेटवर्क को आगे बढ़ाना, केंद्र के सहारे इनमें सुधार नहीं हो सकता है। प्रदेश में धार्मिक, साहसिक, सांस्कृतिक, जल व चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में काम शुरू नहीं हो पाया है।

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प्रदेश में बेहतर सड़कें हों। रेल नेटवर्क मनाली तक होना चाहिए। हवाई अड्डे बड़े होने पर उनमें हर तरह के जहाज उतर सकेंगे। प्रदेश में होटलियरों की सबसे बड़ी जरूरत यही है।

- महेंद्र सेठ, अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश होटलियर एसोसिएशन

हमारे वित्तीय संसाधन सीमित हैं। पर्यटन का रोडमैप केंद्र सरकार की सहायता के बिना संभव नहीं हो सकता है। उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर प्रदेश को भी केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए। पर्यटन क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं लेकिन कनेक्टिविटी बड़ा मुददा है। इसे राज्य सरकार अपने स्तर पर सुलझा नहीं सकती है।

-आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यटन।


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