शिमला के इस ऐतिहासिक चर्च में रुक गया समय, ठहर गए हैं घड़ियों के कांटे
शिमला के रिज मैदान पर बने एतिहासिक चर्च की घड़ियों के कांटे ठहर गए हैं, एतिहासिक दर्जा प्राप्त होने के बावजूद यहां लगी घड़ियों के थमे समय को कोई भी रफ्तार नहीं दिला पाया।
शिमला, जेएनएन। शिमला स्थित प्राचीन चर्च की घड़ियां लंबे समय से खराब हैं और आज तक इन घड़ियों को ठीक नहीं किया गया है। इनके कांटे एक ही समय पर ठहर गए हैं। हर रोज सैकड़ों लोग चर्च से होकर आते-जाते हैं और बंद घड़ियों को देखते हैं। ऐतिहासिक दर्जा प्राप्त होने के बावजूद यहां लगी घड़ियों के थमे समय को कोई भी रफ्तार नहीं दिला पाया।
शिमला के रिज मैदान की प्रदेश में ही नहीं विश्वभर में ऐतिहासिक पहचान है। रिज मैदान पर बना चर्च इसकी ऐतिहासिकता को ओर अधिक बढ़ाता है। इस चर्च की नींव नौ सितंबर 1844 में बिशप डेनियल विल्सन द्वारा रखी गई थी। चर्च के शिखर में लगी घड़ियां इसकी शान व पहचान हैं। यह घड़ियां कर्नल डंबलेटन द्वारा चर्च को दी गई थी।
आजादी से पूर्व अंग्रेजी शासनकाल में बने इस चर्च की घड़ियों को व्यक्ति द्वारा संचालित किया जाता था। सभी घड़ियों की बनावट इस प्रकार थी कि यह सभी एक साथ एक ही समय दर्शाएं। समय के साथ इनमें खराबी आती रही। जहां तक संभव हो सका दुरुस्त किया गया, लेकिन बाद में इनके कांटे थमे तो थम ही गए हैं। हालांकि बाद में घड़ियों का विद्युतीकरण कर दिया गया पर फिर भी कुछ समय बाद यह रुक गईं और आज शहर के लोगों को चलाने वाला समय खुद आगे बढ़ने की राह ताक रहा है।