हिमाचल को जल्द मिलेंगे लोकायुक्त
हिमाचल प्रदेश को जल्द ही नया लोकायुक्त मिल सकता है। सचिव मधुबाला ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने माना कि इस दिशा में सरकार जल्द ही अधिसूचना जारी कर सकती है। चयन कमेटी की 5 जनवरी को बैठक हुई थी। इसकी अध्यक्ष्ता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की थी। इसमें सदस्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिदल नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी हिस्सा लिया था। सूत्रों के अनुसार इसमें कई नामों पर गहन चर्चा की गई थी।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश को नए लोकायुक्त जल्द मिल सकते हैं। लोकायुक्त सचिव मधुबाला ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने माना कि इस दिशा में सरकार जल्द अधिसूचना जारी कर सकती है। गत पांच जनवरी को हुई चयन कमेटी की बैठक की अध्यक्ष्ता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की थी। इसमें सदस्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिदल व नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी हिस्सा लिया था।
सूत्रों के अनुसार बैठक में कई नामों पर चर्चा की गई थी। हिमाचल में लोकायुक्त से संबंधित 2014 का नया एक्ट पिछले साल नवंबर में लागू हुआ था। इस संबंध में गृह विभाग (विजिलेंस) के प्रधान सचिव ने अधिसूचना जारी की थी। नए एक्ट के तहत लोक सेवक से लेकर जनप्रतिनिधि के भ्रष्टाचार मामलों की जांच हो सकती है। इनमें विधायक और मंत्रियों के भ्रष्टाचार के आरोपों की भी जांच हो सकती है। इसके लिए शिकायतकर्ता को शपथपत्र देना होगा। अगर शिकायत झूठी पाई गई तो शिकायतकर्ता पर भी मामला दर्ज होगा।
लोकायुक्त का होगा अलग थाना
नए एक्ट के अनुसार लोकायुक्त का अलग थाना होगा। पहले चरण में शिमला, धर्मशाला व मंडी में थाने खुलेंगे। हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त एक्ट-1983 में जांच व अभियोजन विग नहीं था। इसे स्थापित करने के लिए नए एक्ट के तहत स्टाफ की और जरूरत पड़ेगी। निदेशक जांच और निदेशक अभियोजन की नियुक्ति होगी। हालांकि यहां प्रशासनिक विग पहले से ही है। लोकायुक्त थाना में ही प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट-1988 (केंद्र) और 1983 (राज्य) के तहत केस दर्ज किए जाएंगे। इसके साथ ही कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर एक्ट-1973 के तहत पुलिस स्टेशनों की प्रक्रिया चलेगी। हिमाचल में जस्टिस एलएस पांटा लोकायुक्त रहे हैं। उनका कार्यकाल फरवरी 2017 को खत्म हो गया था। तबसे यह पद रिक्त है। पहले लोकायुक्त के पास जांच एवं अभियोजन की शक्तियां नहीं होने से कई मामलों पर सुनवाई भी नहीं हो पाई थी।