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पेड़ कटान पर प्रतिबंध के खिलाफ पक्ष रखेगी सरकार

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश में वन कटान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इस निर्णय को लेकर प्रदेश सरकार अपना पक्ष रखेगी। इस मामले में सरकार पहली अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने के लिए पूरी तैयारी के साथ जाएगी। लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बावजूद मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्य सचिव बीके अग्रवाल सहित आला अधिकारियों को तलब किया था। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर सरकार ने अपना पक्ष रखने का निर्णय लिया। प्रदेश में अधिकांश जमीन चाहे सरकारी है या लोगों की खाली जमीनें। पहले से वन भूमि घोषित हैं और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश के तहत प्रदेश में सरकारी व निजी भूमि पर किसी भी प्रकार का पेड़ काटने को लेकर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए। जिसके चलते प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह से ठप होंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 10:32 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 10:32 PM (IST)
पेड़ कटान पर प्रतिबंध के खिलाफ पक्ष रखेगी सरकार
पेड़ कटान पर प्रतिबंध के खिलाफ पक्ष रखेगी सरकार

राज्य ब्यूरो, शिमला : वन क्षेत्र में पेड़ कटान पर सुप्रीमकोर्ट के लगाए प्रतिबंध पर प्रदेश सरकार पहली अप्रैल को शीर्ष अदालत में पक्ष रखेगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकारी आवास ओकओवर में बुधवार को मुख्य सचिव बीके अग्रवाल सहित आला अधिकारियों से बंद कमरे में बैठक की।

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बैठक में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर सरकार ने पक्ष रखने का निर्णय लिया। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश में सरकारी व निजी भूमि पर किसी भी प्रकार का पेड़ काटने को लेकर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए थे। इस कारण प्रदेश में विकास कार्य ठप होने की आशंका है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की, जिनमें अतिरिक्त मुख्य सचिव वन राम सुभग सिंह भी शामिल थे। लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू है मगर महत्वपूर्ण मुद्दा होने की वजह से जयराम ने अधिकारियों के साथ बैठक कर सर्वोच्च अदालत में सरकार का पक्ष रखने की तैयारी करने को कहा।

सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में विकास कार्य के लिए वन क्षेत्रों में पेड़ कटान पर पूरी तरह पाबंदी लगाई है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को वन भूमि को गैर वानिकी उद्देश्य के लिए तबदील करने पर रोक लगा दी है। गत दिनों न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अथॉरिटी के उस अधिकार पर रोक लगा दी है जिसके तहत उसे सड़क, अस्पताल, स्कूल आदि विकास कार्यों के लिए प्रति हेक्टेयर जमीन से 75 पेड़ों को काटने की इजाजत मिली है। वन अधिकार अधिनियम के तहत अथॉरिटी को यह अधिकार प्राप्त है। न्यायालय की पीठ ने अगले आदेश तक जिला वन अधिकारियों को एफआरए के प्रावधानों के तहत मिले इस अधिकार का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी। इस मामले की सुनवाई पहली अप्रैल को होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से संबंधित रिपोर्ट देखने पर यह निर्णय लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।


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