बेटे की मौत के जख्म पर कुदरत का नमक, बेबस पिता मांगता रहा मदद
हिमाचल की बर्फबारी में एक मजबूर पिता अपने बेटे के शव को आठ घंटे एंबुलेंस में लेकर बैठा रहा, गाजियां निवासी जोगेंद्र राणा के साथ यह क्रूर मजाक कुदरत के साथ व्यवस्था ने भी किया है।
शिमला, महेंद्र ठाकुर। एक तरफ बर्फ के फाहों में लोग मस्ती कर रहे थे, दूसरी तरफ एक बेबस पिता के लिए ये फाहे तीर की तरह सीने में चुभ रहे थे। इस बेबस व्यक्ति के जवान बेटे की मौत आइजीएमसी में हो गई थी। शव घर पहुंचाने में मौसम बाधा बन गया। मंजर यह था कि बीच सड़क में पिता बेटे के शव के साथ आठ घंटे एंबुलेंस में बैठा रहा। जिला प्रशासन के मदद के दावों के अलावा इंसानियत पर भी बर्फ जम गई।
हमीरपुर जिले के तहत भोरंज क्षेत्र के गांव नगरोटा गाजियां निवासी जोगेंद्र राणा के साथ यह क्रूर मजाक कुदरत के साथ व्यवस्था ने भी किया है। उनके 35 साल के बेटे को कैंसर था, जो अमेरिका में किसी संस्था में वैज्ञानिक था। अधिक बीमार होने पर परिजन बेटे को हमीरपुर ले आए। 21 जनवरी को तबीयत बिगड़ी तो आइजीएमसी शिमला पहुंचाया, लेकिन मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई। करीब नौ बजे परिजन एंबुलेंस में शव लेकर हमीरपुर के लिए रवाना हुए। इस दौरान शहर में हल्की बर्फबारी ही शुरू हुई थी, लेकिन एंबुलेंस के टायर घिसे होने पर वाहन फिसलना शुरू हो गया।
रिगल के पास वाहन आगे नहीं बढ़ पाया और चालक ने चलाने से मना कर दिया। लोगों से निराशा मिलने के बाद जोगेंद्र राणा ने डीसी शिमला से संपर्क किया और मदद मांगी। डीसी ने आश्वसन दिया, लेकन सुबह नौ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक कोई मदद के लिए आगे नहीं आया। आठ घंटे तक पिता मदद के लिए आग्रह करता रहा। एक यूटीलिटी नगर निगम ने भेजी, लेकिन शव गाड़ी में आ नहीं सका। इसके आद खुली जीप मंगवाई और आठ घंटों के बाद शव को फिर आइजीएमसी ले जाया गया। हैरानी तो इस बात की है कि लक्कड़ बाजार से आइजीएमसी वापस शव लाने में जिला प्रशासन असमर्थ हो गया। आइजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज ने बताया कि शव गृह में रख दिया गया है, जब मौसम साफ होगा तभी ले जा सकते हैं।