हिमाचल में पुलिस भर्ती में चिट्टा टेस्ट होगा अनिवार्य, हर जिले में खुलेंगे नशा मुक्ति केंद्र
हिमाचल सरकार ने नशे पर लगाम कसने के लिए पुलिस भर्ती में डोप टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। नए कर्मचारियों को शपथ पत्र देना होगा। हर जिले में नशामुक्ति केंद्र खोले जाएंगे जिसके लिए 14.95 करोड़ की योजना मंजूर हुई है। मुख्यमंत्री ने नशा नेटवर्क तोड़ने के लिए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने पर जोर दिया है।

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने नशे पर लगाम लगाने के लिए पुलिस भर्ती में अब चिट्टा (सिंथेटिक ड्रग) का डोप टेस्ट अनिवार्य करने का निर्णय लिया। इसके अलावा सभी नए सरकारी कर्मचारियों को यह शपथ पत्र देना होगा कि वे चिट्टा का सेवन नहीं करते हैं। हर जिले में नशामुक्ति केंद्र खोलने और इसके लिए 14.95 करोड़ की योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है।
चिट्टे की चपेट में आ रहे युवाओं को देखते हुए दैनिक जागरण ने धंसता हिमाचल अभियान चलाया था। मुख्यमंत्री ने दैनिक जागरण के अभियान और सभी की बढ़ती चिंता को दूर करने के लिए अहम निर्णय लिया है। मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में करीब साढ़े चार घंटे तक पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और स्वास्थ्य विभागों ने विस्तृत प्रस्तुतियां दीं।
मुख्यमंत्री ने महिला मंडलों, युवक मंडलों, पंचायती राज संस्थाओं, नागरिक समाज संगठनों और शिक्षा विभाग को भी नशे के खिलाफ जन जागरूकता अभियान में सक्रिय रूप से शामिल करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को 12 बजे मंत्रिमंडल की बैठक शुरू हुई और करीब पांच बजे तक इसी पर चर्चा चलती रही।
मंत्रिमंडल की बैठक में नशे के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की विस्तार से समीक्षा की गई। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार नशे के खिलाफ शून्य सहिष्णुता नीति (जीरो टॉलरेंस) अपना रही है और युवाओं को नशे की चपेट में आने से बचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने नशा नेटवर्क को तोड़ने के लिए समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया।
मंत्रिमंडल ने पुलिस भर्ती में मुख्यमंत्री ने नशे से जुड़े मामलों में संलिप्त कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिये। स्वास्थ्य विभाग को नशा मुक्ति के लिए प्रशिक्षण, जागरूकता, इलाज, परामर्श, पुनर्वास आदि गतिविधियों को और सशक्त बनाने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान में कुल्लू, हमीरपुर, नूरपुर और ऊना में पुनर्वास केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।
अब सभी जिला मुख्यालयों में ऐसे केंद्र स्थापित करने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की राज्य कार्य योजना के अंतर्गत 14.95 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की जा रही है। उन्होंने सभी विभागों से समन्वय के साथ कार्य करते हुए नशे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में नियमित रूप से निगरानी बढ़ाने पर भी बल दिया ताकि अन्य राज्यों से नशे की तस्करी पर रोक लगाई जा सके।
प्रदेश सरकार ने नशे पर लगाम लगाने के लिए दो कानून पारित किए हैं जिसमें हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध निवारण एवं नियंत्रण- 2025 जिसमें नशे के सौदागरों को न केवल आजीवन कारावास, बल्कि मृत्युदंड का भी प्रविधान किया गया है और नशे की लत में फंसे लोगों के पुनर्वास होगा। इसके अलावा सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा नशे अथवा अन्य अवैध तरीकों से अर्जित संपत्ति की कुर्की की जा रही है।
नशे से जुड़े लोगों की 42.22 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
मंत्रिमंडल की बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में ड्रग्स के दुरुपयोग की स्थिति नियंत्रण में है। एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज मामलों की संख्या कुल मामलों का नौ प्रतिशत है, जो कि पंजाब के 20 प्रतिशत की तुलना में काफी कम है।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अब तक 45 मामले दर्ज किए गए हैं और नशे से जुड़े लोगों की 42.22 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है, जो पिछले वर्षों की तुलना में दोगुनी से भी अधिक है। इसके अतिरिक्त पिट-एनडीपीएस एक्ट के तहत 44 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
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