हिमाचल की पंचायतों में सेवाएं दे रहे ग्राम रोजगार सेवकों को हाई कोर्ट ने दी राहत, विभाग के आदेश पर लगाई रोक
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने ग्राम रोजगार सेवकों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने विभाग के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत उनकी सेवाओं को समाप्त करने की बात कही गई थी। न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने इस मामले में अंतरिम आदेश पारित किया, जिससे सेवकों की नौकरी सुरक्षित हो गई है। यह फैसला ग्राम रोजगार सेवकों के लिए एक बड़ी राहत है।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का शिमला स्थित परिसर। जागरण आर्काइव
विधि संवाददाता, शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने पंचायतों में सेवाएं दे रहे ग्राम रोजगार सेवकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने प्रार्थियों की मांग को स्वीकार करते हुए राज्य ग्रामीण विकास विभाग की ओर से आठ सितंबर 2025 को जारी उस आदेश पर रोक लगा दी है इसके तहत ग्राम रोजगार सेवकों को नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने को कहा गया था। इस पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है।
न्यायाधीश संदीप शर्मा ने 130 याचिकाकर्ताओं की ओर से संयुक्त रूप से दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में उत्तर मांगा है।
एकमुश्त नियमित करने की मांग
प्रार्थियों ने विभाग की और से उक्त आदेश को रद करने व उन्हें बतौर पंचायत सचिव एकमुश्त तौर पर नियमित करने की मांग की है। प्रार्थियों का कहना है कि वे वर्षों से पंचायतस्तर पर सरकारी योजनाओं का संचालन और तकनीकी काम कर रहे हैं। केवल अनुबंध बदलने और नौकरी में अस्थिरता देने के बजाय सरकार को उन्हें नियमित करना चाहिए।
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नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का दिया था विभाग ने आदेश
आठ सितंबर 2025 को सरकार ने आदेश जारी किया था कि सभी ग्राम रोजगार सेवकों, कंप्यूटर आपरेटरों, तकनीकी सहायकों आदि को नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने होंगे। कर्मचारी लंबे समय से नियमितीकरण, समय पर वेतन और स्थायी नौकरी की मांग कर रहे हैं। इन्हें बार-बार अस्थायी अनुबंध पर रखा जा रहा था, जिससे उनका भविष्य असुरक्षित हो गया है।

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