Himachal: बजट सत्र से पहले ही तैयार होगी ओपीएस की एसओपी, वित्त विभाग अन्य राज्यों की अधिसूचना का कर रहा अध्यन
Himachal Pradesh News हिमाचल सरकार के पहले बजट से पहले पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) तैयार होगी। 17 जनवरी के बाद वित्त विभाग की ओर से एसओपी तैयार की जा रही है।
शिमला, जागरण संवाददाता।
हिमाचल सरकार के पहले बजट से पहले पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने के लिए मानक संचालक प्रक्रिया (एसओपी) तैयार होगी। वित्त विभाग के अधिकारियों की टीम इसमें जुटी गई है। वित्त विभाग छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान राज्य सरकार की ओर जारी ओपीएस संबंधी अधिसूचना का अध्ययन कर रहा है।17 जनवरी के बाद वित्त विभाग की ओर से एसओपी तैयार की जा रही है। 13 जनवरी को मंत्रिमंडल की पहली बैठक में 1.36 लाख एनपीएस कर्मचारियों के लिए ओपीएस बहाली का निर्णय लिया था।
फरवरी के अंत तक एसओपी तैयार
फरवरी के अंत तक ओपीएस को क्रियान्वित करने के लिए एसओपी तैयार हो सकती है। केंद्र का पत्र-ओपीएस वाले राज्यों को नहीं मिलेगा अतिरिक्त ऋण: हिमाचल सरकार को केंद्र से पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें स्पष्ट किया है कि जो राज्य एनपीएस में रहेंगे, उन्हें ही तय सीमा से अधिक ऋण की सुविधा प्राप्त होगी।
ओपीएस वाले राज्यों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। सामान्य तौर पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत तक ही राज्य ऋण प्राप्त कर सकता है। इससे अधिक ऋण जुटाने के लिए राज्य सरकार को राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन)अधिनियम से केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है। इस प्रकार से अतिरिक्त ऋण केवल विशेष परिस्थितियों में ही जुटाया जा सकता है।
नहीं मिलेगी एनपीएस फंड की राशि
प्रत्येक माह प्रदेश के एनपीएस कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत कटौती होती है और सरकार की ओर से 14 प्रतिशत राशि का योगदान होता है। सरकार ने पिछले दिनों केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राज्य सरकार और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को प्रतिवर्ष दिए जा रहे 1632 करोड़ रुपये वापस मांगें थे, जिसे केंद्र सरकार ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि यह राशि पेंशन निधि विनियामक में लगी हुई है।
सभी राज्यों को देना पड़ा एनपीएस विकल्प
पुरानी पेंशन योजना लागू करने वाले राज्य छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान को अंतत: कर्मचारियों को दो पेंशन योजना में से एक विकल्प चुनने का अधिकार देना पड़ा। छत्तीसगढ़ सरकार ने दिसंबर में मंत्रिमंडल की बैठक में एनपीएस का विकल्प देने का निर्णय लिया और एक माह पहले राजपत्र में प्रकाशित कर अधिसूचित किया। इसी तरह से अन्य दोनों राज्यों ने भी व्यवस्था की है।