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बिना अनुमति न लगे उद्योग, अपनाई जा रही नई तकनीक

हिमाचल में औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्रदूषण फैलाने के मामले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 11:25 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 11:25 PM (IST)
बिना अनुमति न लगे उद्योग,
अपनाई जा रही नई तकनीक
बिना अनुमति न लगे उद्योग, अपनाई जा रही नई तकनीक

जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल में औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्रदूषण फैलाने के मामले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में कोई उद्योग बिना अनुमति के न लगे, इसके लिए बोर्ड नई तकनीक को अपना रहा है। पुरानी तकनीक कंसेंट मैनेजमेंट सिस्टम के बदले नई तकनीक ऑनलाइन कंसेंट मैनेजमेंट सिस्टम को अपनाया जा रहा है।

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नया सिस्टम पहली अक्टूबर से शुरू हो चुका है। नई तकनीक को अपनाने के लिए जरूरी जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जनवरी 2018 से सभी प्रकार की अनुमतियों से जुड़े आवेदनों को समयबद्ध तरीके से निपटाया जा रहा है। इसमें जनवरी से सितंबर तक 4488 मामले निपटाए गए हैं। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। दोषियों के खिलाफ जल एवं वायु अधिनियमों के तहत मामले दर्ज कर बिजली व पानी के कनेक्शन काटे जा रहे हैं। बद्दी औद्योगिक क्षेत्र में केवल एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लाट स्थापित किया गया है जबकि ऐसे संयंत्र पावंटा साहिब, काला अंब, ऊना व कागड़ा में भी लगाए जा रहे हैं। बोर्ड ने यह भी बताया कि प्रदेश के प्रदूषण प्रभावित क्षेत्रों में पौधरोपण अभियान चलाया गया है। डेढ़ लाख से ज्यादा वायु स्वच्छ करने वाले इनडोर व आउटडोर पौधे आठ शहरों में लगाए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकात व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने बोर्ड की सराहना करते हुए इस अभियान को आगे भी जारी रखने के आदेश दिए। कोर्ट ने खेद जताया कि स्टाफ की कमी के कारण बोर्ड जनता की सुविधानुसार काम नहीं कर पा रहा है। बोर्ड की ओर से बताया गया कि कुछ पद सृजित किए गए हैं जिन्हें कोर्ट में तीन माह के भीतर भरने के आदेश जारी किए। प्रदेश में वायबल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सुविधाएं स्थापित करने के लिए शहरी विभाग से मिलकर पांच मुख्य क्लस्टर व 25 सब क्लस्टर बनाए गए हैं। बोर्ड के अनुसार उसने मंडी व सुंदरनगर में प्लास्टिक शरेडिंग मशीनें लगाई हैं। कोर्ट ने अन्य नगर निकायों में भी ऐसी मशीनें लगाने की संभावना तलाशने के आदेश दिए। कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर जुर्माने के तौर पर कम से कम दो प्लास्टिक शरेडिंग मशीन प्रति इकाई बोर्ड को देने के आदेश दिए ताकि यह मशीनें स्थानीय निकायों में लगाई जा सकें।


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