नई नीति से एनएच बनने हैं तो डीपीआर पर करोड़ों क्यों खर्च
नेशनल हाई वे की मुरम्मत नहीं की जा रही है और एक भी नेशनल हाई वे गाडी चलाने लायक नहीं है।
विधि संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश में 69 राष्ट्रीय राजमार्गो (एनएच) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार किए जाने के लिए केंद्र सरकार ने 24 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। अभी 163 करोड़ रुपये खर्च किए जाने बाकी हैं। केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि केंद्र द्वारा एनएच के संबंध में नई नीति बनाई जा रही है। शीघ्र ही नई नीति के अनुसार ही एनएच बनाए जाएंगे।
प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सड़क परिवहन एवं हाईवे मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि यदि नई नीति के अनुसार ही हिमाचल में एनएच बनाए जाने हैं तो उस स्थिति में डीपीआर बनाने के लिए खर्च की गई करोड़ों की राशी निरर्थक है। खंडपीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिए कि वह उदाहरण के तौर पर एमएस लायन इंजीनियरिग कंसल्टेंट्स द्वारा तीन करोड़ में तैयार की गई डीपीआर को अदालत के समक्ष पेश करे। केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि केंद्र द्वारा हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग को 25 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं। प्रदेशभर में एनएच की मरम्मत नहीं की जा रही है। एक भी एनएच गाड़ी चलाने लायक नहीं है। पीडब्ल्यूडी को उचित फंड देने का केंद्र को आदेश
खंडपीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिए कि वह हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग को 22 मई तक उचित फंड मुहैया करवाए ताकि एनएच की मरम्मत की जा सके। केंद्र सरकार शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताए कि हिमाचल में कितने एनएच बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। इनकी डीपीआर तैयार किए जाने के लिए कितना समय लगेगा। अपने पिछले आदेश में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि हिमाचल में 69 स्टेट हाईवे जिन्हें एनएच बनाया जाना है तथा एनएच जिन्हें फोरलेन या चौड़ा किया जाना है, उनकी जानकारी अदालत को सारणीबद्ध तरीके से सौंपी जाए। मामले की सुनवाई 18 जून को होगी।