दूसरी राजधानी के निर्णय पर पुनर्विचार करे सरकार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने के निर्णय पर पुनर्विचार करे।
जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने वाले निर्णय पर जनहित को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक प्रदेश सरकार कोई फैसला नहीं ले लेती है, तब तक धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने से संबंधित अधिसूचना पर अमल न करे।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकात व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने परेश शर्मा द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किया। प्रदेश सरकार ने तीन मार्च, 2017 को अधिसूचना जारी कर धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि संविधान के अनुच्छेद 154 ए के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार इस तरह की अधिसूचना जारी कर सकती है। लेकिन अनुच्छेद के तहत लिए गए निर्णय को उपयुक्त अथॉरिटी द्वारा रिव्यू, रिकॉल अथवा उस पर पुनर्विचार किया जा सकता है। इस मामले में प्रदेश सरकार ने कोई अन्य उपयुक्त कदम नहीं उठाया है। इसलिए सरकार उस अधिसूचना पर पुनर्विचार करने के लिए स्वतंत्र है।
------------- कब क्या हुआ
-19 जनवरी 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र ¨सह ने धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने की घोषणा की।
-3 मार्च 2017 को मंत्रिमंडल ने धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने का फैसला लिया। इसी दिन सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की।
-दूसरी राजधानी के दर्जे के औचित्य को परेश शर्मा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस पर 25 अप्रैल 2017 से सुनवाई शुरू हुई।
-------- वीरभद्र ने घोषित की थी दूसरी राजधानी
--------------------
जागरण टीम, शिमला/धर्मशाला : पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र ¨सह ने धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी घोषित किया था। चुनावी वर्ष में हुई घोषणा को लेकर तर्क दिया गया था कि धर्मशाला के निकट मैक्लोडगंज को तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने मुख्यालय बनाया था। वह यहां से निर्वासित तिब्बत सरकार चला रहे हैं। वहीं, सर्दियों में सरकार प्रवास पर धर्मशाला आती है। यहां विधानसभा का शीतकालीन सत्र होता है। इसलिए धर्मशाला शहर दूसरी राजधानी बनने का हकदार है।
प्रदेश के निचले इलाकों कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर और ऊना जिलों में धर्मशाला का खास महत्व है। पूर्व कांग्रेस सरकार का मकसद यह भी था कि इस क्षेत्र के लोगों को इस विशेष दर्जे का फायदा होगा और उन्हें काम के लिए शिमला नहीं जाना होगा। पूर्व कांग्रेस सरकार के निर्णय के अनुसार धर्मशाला स्थित मिनी सचिवालय हिमाचल सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के अधीन करने सहित प्रदेश के मंत्री और बड़े प्रशासनिक अधिकारियों को भी यहां बैठाया जाएगा। चुनावी वर्ष में इस एलान को निचले हिमाचल के मतदाताओं को लुभाने के लिए मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा था। भाजपा पूर्व सरकार को इस निर्णय पर घेरती रही कि यह केवल चुनावी शिगूफा है। इसके अलावा कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सचिवालय और विभागों को स्थानांतरित करने की लगातार मांग उठती रही। पांच मंत्रियों की कुर्सी गई
धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने के बाद यह घोषणा कांग्रेस सरकार और पांच मंत्रियों की कुर्सियों को नहीं बचा सकी। उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। धर्मशाला से पूर्व शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा, नगरोटा बगवां से पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली, चंबा से पूर्व वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, मंडी के द्रंग से पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर और बल्ह से पूर्व आबकारी एवं कराधान मंत्री प्रकाश चौधरी को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।