सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति पर हाईकोर्ट सख्त
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति पर नजर रखने के लिए क्या कोई प्रणाली बनाई गई है। यह बात हाईकोर्ट ने शिक्ष विभाग से पूछी है।
जागरण संवाददाता, शिमला : सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुपस्थिति पर नजर रखने के लिए क्या कोई कारगर प्रणाली तैयार की गई है? प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों से शिक्षकों के बिना अनुमति नदारद रहने के मामले में शिक्षा विभाग को यह स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है।
न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश सी बी बारोवालिया की खंडपीठ ने शिक्षा निदेशकों को यह बताने के लिए भी कहा है कि क्या बिना स्वीकृति के शिक्षकों के छुट्टी पर जाने पर नजर रखी जाती है? क्या शिक्षक आपातकाल में छुट्टी पर जाने से पहले कोई आवेदन या किसी तरह की जानकारी विभाग को देते हैं जिसका स्कूल रिकॉर्ड में भी उल्लेख हो। कोर्ट ने दोनों शिक्षा निदेशकों को यह जानकारी शपथपत्र के माध्यम से दो सप्ताह के भीतर देने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान पाया कि प्रदेश के स्कूलों खासकर ग्रामीण इलाकों में शिक्षक बिना अनुमति के स्कूल से गायब रहते हैं। शिक्षक स्कूलों में देर से आकर जल्दी चले जाते हैं। इससे गरीब विद्यार्थियों को उनका शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पा रहा है। कोर्ट ने यह भी पाया कि विभाग ने नियमित तौर पर ऐसी कोई प्रणाली तैयार नहीं की है कि सभी स्कूलों की जांच समय-समय पर होती रहे। इसी का फायदा उठाकर कुछ शिक्षक नौकरी से बिना सूचना नदारद रहते हैं। प्रार्थी बबिता ठाकुर वाणिज्य विषय की प्रवक्ता के तौर पर वर्ष 2004 में शिमला जिला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल पाहल में तैनात थी। 18 नवंबर 2004 को शिक्षा उप निदेशक ने स्कूल का औचक निरीक्षण किया जिसमें 20 में से 13 शिक्षक अनुपस्थित पाए गए। प्रार्थी ने कारण बताओ नोटिस के जवाब में बताया कि उसकी घर पर नौकरानी न आने के कारण उसे अपने दो वर्षीय बच्चे की देखरेख के लिए उस दिन घर पर रहना पड़ा। इस जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं हुआ। उन्होंने प्रार्थी की अनुपस्थिति के उक्त कार्यकाल को उसकी सेवा से हटाने के आदेश जारी कर दिए। प्रार्थी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सिंगल जज ने प्रार्थी की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि शिक्षा का अधिकार मौलिक है। नौकरानी का छुट्टी पर जाना स्कूल से अनुपस्थित रहने का कोई उचित कारण नहीं है। प्रार्थी ने सिंगल बैंच के फैसले को डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी थी। डिवीजन बेंच ने भी प्रार्थी की अपील को खारिज करते हुए जनहित में शिक्षा विभाग से शिक्षकों की छुट्टियों से जुड़ी जरूरी प्रक्रियाओं पर स्पष्टीकरण माग लिया। मामले पर सुनवाई सात जनवरी को होगी।