महंगे लैपटॉप खरीद मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस, जानिए पूरा मामला
इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के माध्यम से 10 हजार मेधावी बच्चों के लिए की जा रही लैपटॉप खरीद का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है।
शिमला, जेएनएन। इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के माध्यम से 10 हजार मेधावी बच्चों के लिए की जा रही लैपटॉप खरीद का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। पूर्व उपमहाधिवक्ता विनय शर्मा ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। मंगलवार को इस पर कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी की बैंच में सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है। इसमें 21 नवंबर तक जवाब दायर करना होगा।
याचिका में सचिव आइटी, सचिव शिक्षा, शिक्षा निदेशक उच्चतर, प्रबंध निदेशक इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम को पार्टी बनाया गया है। इसमें कैबिनेट के फैसले को चुनौती दी गई है। कैबिनेट की बैठक में दो कंपनियों को टेंडर आवंटित करने पर मुहर लगाई थी, जबकि शिक्षा मंत्री सरकार से टेंडर रद करने की सिफारिश कर चुके हैं।
याचिका के अनुसार दो में से एक कंपनी ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी लैपटॉप दिए हैं। वहां एक लैपटॉप 15 हजार और हिमाचल में यही लैपटॉप 23 हजार का मिलेगा।
याचिकाकर्ता ने टेंडर रद करने की गुहार लगाई है। इसमें दिए तथ्यों के अनुसार 9700 लेपटॉप खरीदने का टेंडर एसर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड व एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया है। प्रार्थी का कहना है कि यह टेंडर लेनोवो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की बिड को नजरअंदाज किया गया। पिछली बार स्कूल के मेधावी विद्यार्थियों को देने के लिए करीब 17.16 करोड़ रुपये में 10,000 लैपटॉप खरीदे गए थे। जिस कंपनी को टेंडर से बाहर किया, वह कनार्टक में ऐसा ही लैपटॉप 12 हजार में दे चुकी है। याचिकाकर्ता ने महंगे लैपटॉप खरीद पर सवाल उठाए हैं।
दैनिक जागरण ने उठाया था मुद्दा
'दैनिक जागरण' ने 22 जून से मेधावियों के लिए की जा रही लैपटॉप की महंगी खरीद के मामले को लगातार प्रमुखता से उठाया है। उसी आधार पर शिक्षा विभाग ने इस खरीद के टेंडर को रद कर दिया था। विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम पर सवाल खड़े किए थे।
ये उठाए थे सवाल
सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम से पूछा था एक लैपटॉप का मूल्य इतना अधिक क्यों है? टेंडर भरने वाली तीसरी कंपनी को किस आधार पर इस प्रक्रिया से बाहर किया गया। इस बार दो कंपनियों को 60:40 के अनुपात में लैपटॉप मुहैया करवाने की शर्त क्यों लगाई गई? आरोप है कि इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ने 2015 के दौरान भी मेधावियों के लिए हुई लैपटॉप खरीद में गड़बड़ की थी। तब बिना बताए सॉफ्टवेयर खरीदा था, लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के बाद सॉफ्टवेयर खरीद रद कर दी थी।