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दुर्लभ जड़ी बूटियां दिलाएंगी रोजगार, करेंगी मालामाल

हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों की जड़ी बूटियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने से इसके लिए केंद्र सरकार से करोड़ों रुपये की मदद मिलेगी।

By Edited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 06:38 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 12:30 PM (IST)
दुर्लभ जड़ी बूटियां दिलाएंगी रोजगार, करेंगी मालामाल
दुर्लभ जड़ी बूटियां दिलाएंगी रोजगार, करेंगी मालामाल

राज्य ब्यूरो, शिमला। हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों की दुर्लभ व बेशकीमती जड़ी बूटियां प्रदेश के लोगों को रोजगार देने के साथ मालामाल करेंगी। इसके लिए प्रदेश वन विभाग ने केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय व केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। इसमें प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों की दुर्लभ व अन्य जड़ी-बूटियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने की मांग की गई है। अभी तक हिमाचल की किसी भी जड़ी बूटी को केंद्रीय सूची में शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में बेशकीमती जड़ी बूटियों को गुपचुप तरीके से निकाल कर औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है। उन्हें अब केंद्रीय सूची में शामिल करने से ज्यादा मात्रा में निकाला जा सकेगा।

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प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों की जड़ी बूटियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने से इसके लिए केंद्र सरकार से करोड़ों रुपये की मदद मिलेगी। जड़ी-बूटियों को निकालने से लेकर उन्हें सहेजने और प्रबंधन के लिए केंद्र से मिलने वाली राशि को खर्च किया जाएगा। इसके लिए सरकार अलग से व्यवस्था करेगी जिसके लिए खाका तैयार कर लिया गया है। इससे जड़ी बूटियां निकालने वालों को रोजगार उपलब्ध होगा। प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों में कई दुर्लभ जड़ी-बूटियां हैं जिनका कारोबार होने के साथ उचित दाम उपलब्ध करवाया जाएगा। हिमाचल में 180 वनस्पति परिवार हिमाचल की वनस्पति धरोहर में लगभग 180 वनस्पति परिवार हैं। इनमें 1038 प्रजाति समूह और लगभग 3400 प्रजातियां शामिल हैं। कई प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर हैं जबकि उन्हें औने-पौने दाम पर बेचा जा रहा है।

जड़ी बूटियों के दाम नाम, गांव में कीमत, दिल्ली में कीमत, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत जंगली लहसुन,9000,18000,24000
सालम पंजा,8000,16000,25000
पतीश,8500,15500,26000
नागछतरी,5500,9000,16000
कुटकी व कुड्डी,4500,8500,14000
(दाम रुपये प्रति किलोग्राम)

केंद्रीय सूची में हिमाचल की कोई वनस्पति नहीं है। इन्हें केंद्रीय सूची में शामिल करने के लिए केंद्रीय मंत्रालय को पत्र लिखा गया है।
-तरुण कपूर, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन)


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