नशा किया तो माता-पिता को चलेगा पता
देवभूमि में माता-पिता को अब पता चल जाएगा कि उनके बच्चे नशा करते हैं कि नहीं। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना के तहत 12वीं कक्षा तक के बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के साथ ये भी जांच जाएगा कि नशे की चपेट में बच्चे तो नहीं आ गए हैं। इसकी रिपोर्ट माता-पिता और अभिभावकों को दी जाएगी
राज्य ब्यूरो, शिमला
देवभूमि में माता-पिता को अब पता चल जाएगा कि उनके बच्चे नशा करते हैं कि नहीं। राष्ट्रीय बाल सुरक्षा योजना के तहत जमा दो कक्षा तक के बच्चों के स्वास्थ्य के साथ यह भी जांच जाएगा कि कोई नशे की चपेट में तो नहीं आया है। इसकी रिपोर्ट माता-पिता और अभिभावकों को दी जाएगी। अभी तक स्कूल स्तर पर इस तरह की जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी। देखने में आ रहा है कि स्कूल स्तर पर बच्चे नशे की चपेट में आ जाते हैं और कॉलेज स्तर पर नशे के आदी बन जाते हैं। यह बातें स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने विशेष साक्षात्कार के दौरान बताई। युवाओं को नशे की चपेट में आने से रोकने और ऐसे अवैध धंधा करने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए हिमाचल सरकार की योजना के संबंध प्रस्तुत हैं स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत के अंश : -युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं, इसे रोकने के लिए क्या योजना है?
नशे के खिलाफ जागरूक करने के लिए स्कूलों व कॉलेजों में विशेष अभियान को चलाया जाएगा। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का खाका तैयार किया गया है। सबसे बड़ी जरूरत जागरूकता है। इसके लिए सभी महत्वपूर्ण विभागों को दायित्व सौंपा गया है। -नशे पर बिना नशामुक्ति केंद्रों के कैसे लगाम लगेगी और इसका प्रचलन कैसे रोका जाएगा?
प्रदेश में गैर सरकारी क्षेत्र में नशामुक्ति केंद्र चलाए जा रहे हैं। सरकारी क्षेत्र में हर जिले में नशामुक्ति केंद्र स्थापित किया जाएगा। साथ ही नशे की चपेट में आ चुके युवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों सहित अन्य अस्पतालों में मनोचिकित्सक व प्रशिक्षित चिकित्सक तैनात किए गए हैं। प्रदेश में बनने वाले नए नशामुक्ति केंद्रों में 15-15 बिस्तरों की व्यवस्था होगी। नशे के आदी युवाओं का वहां उपचार किया जाएगा। -प्रदेश में नशे की आपूर्ति को रोकने के लिए क्या योजना है?
नशे की आपूर्ति रोकने के लिए सरकार ने कड़े कानून बनाए हैं। नशा माफिया के लोगों की अब जमानत भी नहीं होगी और उन्हें सख्त सजा मिलेगी। अन्य राज्यों के साथ विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिससे दूसरे राज्यों से नशे सप्लाई करने वाले असामाजिक तत्वों को पकड़ा जा सके। अभिभावकों को भी जागरूक किया जा रहा है कि वह बच्चों के साथ ज्यादा समय व्यतीत कर उन्हें समझें और इस बुराई के खिलाफ उन्हें बताएं। दवाओं को भी नशे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहा हैं?
कई युवा नशे की लत पूरी करने के लिए दवाओं का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। अवैध तौर पर आपूर्ति होने वाली दवाओं को पकड़ने के लिए पुलिस के साथ दवा निरीक्षकों को जिम्मा सौंपा गया है। ऐसी दवाओं को चिकित्सक की अनुमति के बिना नहीं दिया जा सकता है। यादवेन्द्र शर्मा