बिजली की जरूरत के लिए अब सूरज का सहारा
सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली यानी ऊर्जा को ग्रिड से कनेक्ट किया जाएगा। इससे स्टोर करने के लिए बेटरियों की भी जरूरत नहीं रहेगी।
शिमला, रमेश सिंगटा। बिजली जरूरतें पूरी करने के लिए पहाड़ों की रानी शिमला भी सूरज तक पहुंचेगी। यहां के केंद्र और राज्य सरकार के करीब 90 विभागों के छतों पर सोलर पावर पैनल लगाए जाएंगे। इनके जरिये सौर ऊर्जा पैदा होगी। इससे कार्यालयों में बिजली की तो बचत होगी ही, सरकार के खजाने में पैसा भी जमा हो सकेगा। सौर ऊर्जा पैदा करने के लिए 60 फीसद सबसिडी केंद्र देगा, जबकि शेष 40 फीसद खर्चा राज्य सरकार वहन करेगी।
इस सिलसिले में हिमऊर्जा ने प्रस्ताव तैयार किया है। इसे जल्द ही स्वीकृति के लिए राज्य सरकार और फिर केंद्र को भेजा जाएगा। सोलर प्लांट से पैदा होने वाली बिजली यानी ऊर्जा को ग्रिड से कनेक्ट किया जाएगा। इससे स्टोर करने के लिए बेटरियों की भी जरूरत नहीं रहेगी। शिमला में अच्छी धूप हिमऊर्जा ने सोलर प्लांट के बारे में राजधानी शिमला में सर्वे किया है। इसमें करीब 100 सरकारी विभाग चिह्नित किए गए हैं। इनमें से अधिकांश में प्लांट लगाए जाएंगे। शिमला को धूप के लिहाज से सबसे उपयुक्त माना गया है।
1000 हजार मेगावाट का भी प्लांट
लाहुल में सबसे बड़ा एक हजार मेगावाट का सोलर पावर प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। हालांकि इसे धरातल पर उतारने में अभी और वक्त लगेगा। एक किलो वॉट का 60 हजार खर्च कितना आएगा खर्च एक किलो वॉट सोलर पावर पैदा करने के लिए 60 हजार रुपये का खर्चा आता है। ऐसा ग्रिड कनेक्ट प्रणाली से होगा। नॉन ग्रिड कनेक्ट प्लांट पर एक लाख 20 हजार रुपये खर्च आएगा। इसमें बैटरी खरीदनी पड़ती है।
शिमला में सोलर पावर प्लांट लगाए जाएंगे। इसे लेकर हिमऊर्जा ने प्रस्ताव तैयार कर रखा है। सबसिडी के अलावा राज्य सरकार कितना खर्चा वहन करेगी, इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
आशुतोष गर्ग, विशेष सचिव, पावर एंड एमपीपी