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रामदेव के सहयोग से लहलहाएगी शून्य लागत प्राकृतिक खेत

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत शून्य लागत खेती को बढ़ावा देने के लिए योगगुरु बाबा रामदेव की मदद लेंगे।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 11:30 AM (IST)
रामदेव के सहयोग से लहलहाएगी शून्य लागत प्राकृतिक खेत
रामदेव के सहयोग से लहलहाएगी शून्य लागत प्राकृतिक खेत

नई दिल्ली, बिजेंद्र बंसल। शून्य लागत खेती को बढ़ावा देने में जुटे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत इसके प्रचार-प्रसार में योगगुरु बाबा रामदेव की मदद लेंगे। बकौल आचार्य, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 25 अगस्त को मिले थे, जिन्हें यह तकनीक बहुत पसंद आई। प्रधानमंत्री ने उन्हें रामदेव का सहयोग लेने का सुझाव दिया था। इस पर अमल करते हुए वह जल्द उनसे मिलेंगे।

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कुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल में शून्य बजट खेती का मॉडल तैयार करने के बाद आचार्य देवव्रत पूरे देश के किसानों को खेती की इस तकनीक का ज्ञान और प्रशिक्षण देना चाहते हैं। सोमवार को नई दिल्ली में दैनिक जागरण के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने ये बातें कहीं। वह हिमाचल सदन में सामाजिक संस्था लारजेस्ट एग्रो रिसर्च फाउंडेशन द्वारा ऑर्गेनिक युक्त भारत, जहरमुक्त भारत विषय पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य

अतिथि आए थे। उन्होंने बताया कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती की तकनीक किसानों को बिना उत्पादन लागत के कृषि उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी। एक माह के प्रशिक्षण में किसान को यह तकनीक न सिर्फ समझ आ जाती है बल्कि वह इसका फायदा दूसरे किसानों को बताना शुरू कर देता है। इसमें देशी गाय के मल-मूत्र से जमीन की उर्वरा क्षमता बढ़ाई जाती है और कीटनाशक व दवाओं की जगह प्राकृतिक व आम जड़ी-बूटियों से फसल संरक्षण के गुर सिखाते हैं।

जब कोई चीज व्यवहारिक रूप से सामने आती है तो उसके प्रति लोगों की रुचि स्वत: पैदा हो जाती है। गुरुकुल इसका सबसे बड़ा मॉडल है। करीब 200 एकड़ भूमि पर शून्य बजट से प्राकृतिक खेती हो रही है। देशभर के किसान और कृषि वैज्ञानिक इसे देखने आ रहे हैं।

आचार्य बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश में इसका व्यापक प्रचार किया जा रहा है और लोग इसे अपना रह हैं। इसके प्रचार-प्रसार के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। हिमाचल सरकार के तत्वाधान में पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में कृषि वैज्ञानिक व तकनीक के जनक पद्मश्री सुभाष पालेकर देशभर के एक हजार किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्रशिक्षण प्राप्त किसान पहले इस तकनीक से फसलों का मॉडल तैयार करेंगे, इसके बाद वे अन्य प्रदेशों या अपने प्रदेश में अन्य किसानों को प्रशिक्षण देंगे।

ई राज्यों ने दिखाई रुचि

राज्यपाल ने बताया कि कुरुक्षेत्र व हिमाचल प्रदेश के अलावा कई राज्यों ने इस तकनीक में रुचि दिखाई

है। पद्मश्री सुभाष पालेकर से छत्तीसगढ़, कर्नाटक के मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल विस्तृत

जानकारी ले चुके हैं। वे चाहते हैं कि उनके प्रदेशों में भी इसका प्रचार-प्रसार हो।

योगी करवाएंगे कार्यशाला

आचार्य के अनुसार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें पिछले दिनों गोरखपुर में आमंत्रित कर कार्यशाला का आयोजन कराया था। वह इस तकनीक से इतने प्रभावित हुए हैं कि एक और कार्यशाला में आयोजित कर रहे हैं। इसमें उत्तर प्रदेश के सभी सांसद, विधायक, कृषि विश्वविद्यालयों क वैज्ञानिक, कुलपति व आदर्श किसान बुलाए जाएंगे।   

पंजाब के राज्यपाल देखेंगे गुरुकुल मॉडल

गुरुकुल कुरुक्षेत्र का मॉडल देखने के लिए आठ अक्टूबर को पंजाब के राज्यपाल वीपी बदनौर व कई

राज्यों के कृषि मंत्री व कृषि वैज्ञानिक कुरुक्षेत्र आ रहे हैं। उनके अनुसार इस मॉडल को देखने में अनेक राज्य रुचि दिखा रहे हैं। 

शून्य लागत खेती के फायदे

1. इससे जमीन की उर्वरा क्षमता बढ़ती है

2. पहले ही साल में फसल उत्पादन मिलता है

3. सिंचाई के पानी की बचत होती है

4. पर्यावरण का संरक्षण होता है

5. मानव स्वास्थ्य का संरक्षण होता है

6. गोमाता का संरक्षण होता है

7. किसान की आय बढ़ती है


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