पंचायतें जमीन दें तो सीमेंट का डिपो खोलेगी सरकार
आमतौर पर पंचायतों में सीमेंट का संकट रहता है। विकास कार्यों के लिए सीमेंट उपलब्ध नहीं होने के कारण मनरेगा और ब्लॉक की ओर से जारी कार्य लटके रहते हैं। सीमेंट आबंटन में राजनीति भी होती है। निचले स्तर पर विरोधी राजनीतिक दल का पंचायत प्रधान होने पर सीमेंट नहीं मिलता है। पंचायत स्तर पर सबसे अधिक राजनीति होती है। मौजूदा सरकार ने गांव की राजनीति से विकास कार्यों को दूर रखने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : पंचायतों में आमतौर पर सीमेंट का संकट रहता है। विकास कार्यो के लिए सीमेंट उपलब्ध नहीं होने के कारण मनरेगा व ब्लॉक की ओर से जारी कार्य लटके रहते हैं। सीमेंट आवंटन में भी राजनीति होती है। विरोधी राजनीतिक दल का पंचायत प्रधान होने पर भी कई बार सीमेंट नहीं मिलता है। प्रदेश सरकार ने अब गांव की राजनीति से विकास कार्यो को दूर रखने के लिए महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है।
योजना के तहत यदि पंचायतें जमीन देती हैं तो सरकार उनके क्षेत्र में सीमेंट का डिपो खोलेगी। ऐसे डिपो में विकास कार्यो के लिए आने वाला सीमेंट रखा जाएगा। इससे पंचायत के विकास कार्य सीमेंट नहीं होने के कारण बाधित नहीं होंगे। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास की ओर से इस तरह का प्रस्ताव तैयार किया गया है। पंचायतों को इस प्रस्ताव से अवगत करवाया गया है। देखना यह है कि पंचायतें इस मामले में कितनी दिलचस्पी दिखाती हैं।
अभी तक सीमेंट रखने की सुविधा ब्लॉक में होती है। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि विकास कार्य पंचायतों में होते हैं तो सीमेंट की आपूर्ति सीधे पंचायतों में होनी चाहिए। ब्लॉक के सीमेंट डिपो सवालों के दायरे में रहते हैं। इसलिए पंचायतों को सीमेंट डिपो के लिए जमीन उपलब्ध करवानी होगी। सीमेंट डिपो बनाने का खर्च विभाग उठाएगा। सीमेंट रखने का शुल्क भी प्राप्त होगा। पंचायतों को दो से तीन रुपये प्रति सीमेंट बैग देने की व्यवस्था भी हो सकती है।