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आजीवन कारावास की सजा काट रहे 12 कैदियों को रिहा करेगी सरकार

आजीवन कारावास की सजा काट रहे 12 कैदियों को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के दखल के बाद रिहा करने का फैसला किया गया है।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 11:26 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 11:26 AM (IST)
आजीवन कारावास की सजा काट रहे 12 कैदियों को रिहा करेगी सरकार
आजीवन कारावास की सजा काट रहे 12 कैदियों को रिहा करेगी सरकार

शिमला, जेएनएन। प्रदेश हाईकोर्ट के दखल के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं सरवन सिंह को प्रदेश सरकार ने रिहा करने का फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को कहा कि कानून के अनुसार उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।

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हाईकोर्ट को गृह विभाग की ओर से बताया गया कि प्रार्थी सरवन कुमार के अलावा चंद्र मोहन, रणजीत सिंह, विमल सिंह, मोहन सिंह, मनसाराम, कृष्ण कुमार, हंसराज, प्रेम सिंह, सुरजीत सिंह, दिनेश्वर ओझा और रामदास को भी रिहा करने बाबत प्रदेश सरकार की ओर से स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। जरूरी

औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इन लोगों को रिहा किया जा सकता है।

हाईकोर्ट को लिखे पत्र के अनुसार प्रार्थी 16 अप्रैल 1998 से आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। प्रार्थी ने प्रदेश सरकार द्वारा आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों की रिहाई पर निर्णय लेने के लिए गठित कमेटी के समक्ष पहले भी गुहार लगाई थी, लेकिन उस पर सरकार ने कोई फैसला नहीं किया। प्रार्थी

की उम्र 68 वर्ष है और एक गरीब परिवार से संबंध रखता है। 20 साल से कारागार में रहने के कारण परिवार संघर्षपूर्ण जीवन जीने के लिए विवश है।

प्रार्थी के अलावा अन्य कोई भी कमाने वाला नहीं है और न ही आय का कोई नियमित साधन है। मकान की मरम्मत न होने के कारण गिर चुका है। पुश्तैनी भूमि पर लंबे समय से कृषि कार्य न होने के कारण उपजाऊ भूमि भी बंजर हो चुकी है। 

प्रार्थी ने इन सभी तथ्यों के दृष्टिगत प्रदेश उच्च न्यायालय से रिहाई की गुजारिश की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेने के बाद प्रदेश सरकार को कार्रवाई अमल में लाने के आदेश जारी किए थे। सरकार ने 10 अगस्त 2018 को प्रार्थी को जेल से रिहा करने बाबत नीतिगत फैसला ले लिया है। आदेश जारी कर दिए हैं। 

शिमला शहर में पानी वितरण के लिए क्या कदम उठाए

प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान सचिव सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय को यह बताने के आदेश जारी किए गए हैं कि उनके द्वारा शिमला शहर में पानी को एकत्रित करने व उसे वितरित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। इसके अलावा न्यायालय ने पानी की लीकेज को रोकने के लिए उठाए कदमों बारे न्यायालय को अवगत करवाने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ के समक्ष अब इस मामले पर सुनवाई 13 सितंबर को होगी। प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष प्रदेश मुख्य सचिव द्वारा दायर शपथ पत्र के माध्यम से न्यायालय को यह बताया गया था कि पानी को शिमला में सुचारू रूप से वितरित करने के उद्देश्य से क्रेगनैनो से ढली व संजौली से रिज तक नई पाइप लाइन बिछाई जा रही है, जिसे 31 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा।

शपथ पत्र में यह भी बताया गया है कि पानी को अधिक मात्रा में एकत्रित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से गुम्मा, गिरी व अश्वनी खड्ड में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के अपग्रेडेशन, ट्यूबबेल लगाने, शिमला शहर में नौ नए पानी के टैंक बनाने का निर्णय लिया है। शिमला शहर में पानी की कमी को दूर करने को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने उपरोक्त आदेश पारित किए।


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