वन अधिकारियों की छुट्टियां रद, 24 घंटे में आग न बुझाई तो होगी कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश में पिछले दो-तीन दिन से जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं।
शिमला, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के जंगलों में बढ़ रही आग की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने वन अधिकारियों की छुट्टियां रद कर दी हैं। वे केवल जरूरी ट्रेनिंग के लिए ही अवकाश ले पाएंगे। फील्ड स्टाफ को पहले ही अवकाश पर जाने की इजाजत नहीं है। यह पाबंदी फायर सीजन तक जारी रहेगी। अब वन विभाग के कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर हर हाल में आग पर काबू पाना होगा। इससे ज्यादा वक्त तक आग लगी तो उन्हें कारण बताना होगा। कोताही बरतने पर कड़ी कार्रवाई होगी। इस संबंध में निर्देश जारी हो गए हैं।
प्रदेश में पिछले दो-तीन दिन से जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं। सोलन जिले के कसौली में जंगल की आग वायुसेना के स्टेशन तक जा पहुंची है, हालांकि इस पर हेलीकॉप्टर की मदद से काबू पाया गया। प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी जंगलों के दहकने के सूचना है। रविवार को भी 119 स्थानों पर आग ने तांडव मचाया। इससे अमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो गई। पिछले दिनों कांगड़ा जिला के फतेहपुर में जंगल की आग बुझाते समय एक वृद्ध की भी मौत हो गई थी। कई जिलों में जंगलों के साथ सटी बस्तियों पर आग का खतरा बराबर बना हुआ है।
लोगों से मांगा सहयोग जनता की भागीदारी के बिना इन घटनाओं को रोकना असंभव है। इस कारण महकमे ने लोगों से भी और सहयोग मांगा है। इस बारे में त्वरित कार्रवाई बल भी गठित किया गया है। इसके अलावा स्वयं सेवियों का नेटवर्क भी तैयार किया गया है। वन मंत्री गोविंद ठाकुर की मानें तो इस बार लोग आग बुझाने के काम में पहले से अधिक सहयोग दे रहे हैं।
आग के आगे वन विभाग की योजना धुआं-धुआ
फायर सीजन के दौरान आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए बनाया गया वन विभाग की योजना धुआं-धुआं हो गई है। आलम यह है कि इस माह जिलेभर में करीब 135 आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं और साढ़े पांच सौ हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं। इसके अलावा निजी संपत्ति को भी नुकसान हुआ है।
शनिवार सायं से बैजनाथ से लेकर मैक्लोडगंज तक जंगल दहक रहे हैं लेकिन वन विभाग आग पर काबू पाने में असहज दिख रहा है। शनिवार रात खनियारा के पटोला मैदान के निचले क्षेत्र और जुहल के जंगल में आग लग गई। जुहल क्षेत्र में लगी आग सुबह तक वनगोटू गांव तक पहुंच गई है। यही नहीं रविवार सुबह दाड़नू और मैक्लोडगंज क्षेत्र के जंगलों में भी आग लग रही। इससे लाखों की वन संपदा को नुकसान के साथ-साथ तापमान में भी वृद्धि हुई है। धुएं से सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों का मर्ज भी बढ़ गया है।
जुहल के जंगल में हिरण, बारहसिंगा, सुअर व जंगली मुर्गों सहित अन्य जानवरों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है। साथ ही धुएं से लोगों को सांस लेने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रह है।
हुजूर! संदेश किस काम का
हालांकि आगजनी की घटनाओं से निपटने के लिए वन विभाग ने हाईटेक सिस्टम अपनाया है। इसके तहत जब भी कहीं आग लगती है तो सेटेलाइट से इसका पता चल जाता है। यही नहीं आग लगने के चंद मिनटों में ही इस बाबत संदेश मोबाइल फोन पर संबंधित अरण्यपाल से लेकर फॉरेस्ट गार्ड तक पहुंच जाता है। ऐसे में यह संदेश किस काम का है।
आग से उठने वाला धुआं
सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक है। साथ ही स्वस्थ लोग भी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
-डॉ. आरएस राणा, सीएमओ, कांगड़ा
आगजनी की घटनाओं से तापमान में भी वृद्धि हुई है। मई में अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस तक रहता था लेकिन इस दफा यह यह 33.6 डिग्री तक पहुंच गया है। इतना तापमान जून अंत तक होता था।
-विरेंद्र शर्मा, मौसम प्रभारी।
खनियारा और जुहल के जंगल में लगी आग पर लोगों के सहयोग से काबू पा लिया है। आग लगने के कारणों का पता लगाया जा रहा है।
-प्रदीप भारद्वाज, डीएफओ धर्मशाला।
किमण गांव में जली वन संपदा अग्निशमन कर्मियों ने बुझाई आग
किमण गांव के जंगल में आग लगने से वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। अग्निशमन चौकी प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि उन्हें फोन पर किमण गांव के जंगल में आग लगने की सूचना मिली। इसके बाद वह तुरंत घटनास्थल पर अपनी टीम के साथ पहुंचे और आग पर काबू पाया।
जंगल की आग से जली गोशाला
विकास खंड बैजनाथ के तहत कंदराल पंचायत के जंगल में लगी आग से एक गोशाला व स्कूल की खिड़की सहित अन्य सामान जल गया है। बीडीसी सदस्य अमित मेहता ने बताया कि रविवार को किसी ने जंगल में आग लगा दी थी जो कि अचानक गांव घरों की ओर बढ़ गई। उन्होंने बताया कि इसकी सूचना अग्निशमन विभाग को दी, लेकिन कर्मियों के आने से पहले कंदराल निवासी सुदेश कटोच की गोशाला व लनौड (कंदराल) प्राइमरी स्कूल की खिड़की व अंदर रखा सामान जलकर राख हो गया।