कुछ न सराहा कुछ ने निकाली कमियां
जयराम सरकार के सौ दिन के कार्यकाल की जहां लोगों ने सराहना की है।
जागरण संवाददाता, शिमला : जयराम सरकार के सौ दिन के कार्यकाल की जहां लोगों ने सराहना की है, वहीं कुछ लोगों ने सरकार की कमियों को भी गिनाया है। जहां सरकार की सौ दिन में किए गए कार्यो से सरकार की भावी योजनाओं और विकास को आंक रहे हैं, वहीं महिला सुरक्षा पर किए ऐतिहासिक कार्यो की सराहना लोग कर रहे हैं। जबकि कुछ लोग कह रहे हैं कि सरकार काम तो कर रही है लेकिन कोई लक्ष्य अभी तक निर्धारित नहीं कर पाई है। शिक्षा, परिवहन, स्वच्छता पर कोई खास कार्य या निर्णय सरकार नहीं ले पाई है।
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ये कहा लोगों ने
अभी तो केवल सौ दिन हुए हैं, बदलाव के लिए समय लगता है, लेकिन जो कार्य अभी तक हुए हैं उससे सरकार के लक्ष्य का पता चल जाता है। सरकार सबको एक निगाह से देख रही है कोई भेदभाव नहीं कर रही है। आम वर्ग को यही चाहिए, समान विकास हो तो कोई मतभेद नहीं होते और विकास के पथ पर सरकार अग्रसर हो सकती है, जो सरकार ने 100 दिन में कर दिखाया है।
-हीरा लाल शर्मा।
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काम का पता तो तब चले यदि जमीन पर कुछ नजर आए। आम लोगों को मूलभूत सुविधाएं चाहिए, लेकिन मूलभूत सुविधाएं कहां मिल रही हैं। सफाई व्यवस्था शहर में बदहाल है, पानी पीने के लिए नहीं मिल पा रहा है, लोग दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। सरकार का क्या लक्ष्य है कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
-धर्मेद्र शर्मा।
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-सौ दिन में किसी सरकार को आंकना संभव नहीं है, लेकिन फिर कम समय में सरकार ने अपना लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। 100 दिन हुए हैं पांच साल बहुत होते हैं। कुछ समय लगेगा, लेकिन विकास की पूरी आस है भेदभाव नहीं हो रहा है।
-चंद्र सिंह।
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-सरकार से लोगों को बहुत आशाएं हैं, कुछ प्रयास तो किए हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए शक्ति एप, गुडिया हेल्पलाइन जैसे महत्वपूर्ण निर्णय सराहनीय हैं। लेकिन अभी भी इसमें काफी प्रयास करने की जरूरत है, लेकिन जो प्रयास किए हैं वह इसकी ओर इशारा कर रहे हैं कि महिला सुरक्षा के लिए सरकार संजीदा है।
-कविता।
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-गलत दिशा में सरकार जा रही है। लोगों का ध्यान ही नहीं है। चावल का एक दाना देख कर ही पता चलता है कि कितने चावल पके हैं। इसी तरह सरकार भी कच्ची है, न सुरक्षा, न सफाई न पानी, मनमानी फीस लोगों की जेब खाली कर रही है। आने वाले दिनों में भी सरकार क्या करेगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
-पारूल सूद।