हिमाचली सेब, अंगूरी शराब व चिल्गोजा की होगी जीआइ टैगिंग
किन्नौर की अंगूरी के साथ चिल्गोजा और हिमाचली सेब को अब जीआई टेगिंग होगी। इन पर हिमाचलियों का अधिकारी होगा और इससे हिमाचलियों को लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद जीआई यानी भौगोलिक संकेतक अधिनियम 1999 के तहत इन्हें पंजीकृत करवा रहा है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचली सेब, किन्नौर की अंगूरी शराब व चिल्गोजा की अब भौगोलिक संकेतक (जीआइ) टैगिंग होगी। इन पर हिमाचलियों का ही अधिकार होगा। इससे हिमाचलियों को लाभ मिलेगा। हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भौगोलिक संकेतक अधिनियम 1999 के तहत इन्हें पंजीकृत करवा रहा है।
पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ओर से जीआइ उत्पादों की दो दिवसीय प्रदर्शनी बुधवार को इंदिरा गाधी खेल परिसर शिमला में शुरू हुई। इसका शुभारंभ अतिरिक्त मुख्य सचिव (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) आरडी धीमान ने किया। उन्होंने कहा कि हाथों से तैयार हिमाचल के उत्पादों को संरक्षण दिया जाएगा। नकली उत्पादों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी। जो उत्पाद केवल प्रदेश में होते हैं और उनकी अलग पहचान है, उनका जीआइ पंजीकरण करवाया जा रहा है। प्रदर्शनी का उद्देश्य लोगों को ऐसे उत्पादों के प्रति जागरूक करना है। प्रदेश के उत्पादों के सही दाम मिलें और उनके स्थान पर नकली उत्पाद को बाजार में आने से रोकने के लिए जीआइ पंजीकरण करवाया जाता है। अभी तक कांगड़ा चाय, कुल्लू व किन्नौरी शॉल, चंबा रूमाल, कांगड़ा पेंटिग, चुली का तेल व काला जीरा को पंजीकृत करवाया गया है। इस दौरान हिमाचल की पहचान माने जाने वाले उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डीसी राणा भी उपस्थित थे।