एपीजी विवि में नियुक्तियों, दाखिलों में गंभीर अनियमितताएं
निजी एपीजी विश्वविद्यालय शिमला में शिक्षकों की नियुक्तियों से लेकर छात्रो
रमेश सिगटा, शिमला
निजी एपीजी विश्वविद्यालय शिमला में शिक्षकों की नियुक्तियों से लेकर छात्रों के दाखिलों तक में गंभीर अनियमितताएं बरती गई। निरीक्षण (इंस्पेक्शन) कमेटी की रिपोर्ट में इसका पता चला है। निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने 2012 से 2019 तक इंस्पेक्शन कमेटी की रिपोर्ट्स स्टेट सीआइडी को सौंप दी है। इनमें हर साल अनियमितताएं बरती गई हैं, लेकिन 2018 की रिपोर्ट ने विवि प्रबंधन की पोल खोलकर रख दी है। रिपोर्ट में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। एक भी प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर यूजीसी के मानक पूरे नहीं करता था। हालांकि तब छह प्रोफेसर और 15 एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत थे, लेकिन प्रबंधन ने कागजों में 178 शिक्षक दर्शाए थे। जांच में पाया गया कि इनकी संख्या 100 से अधिक नहीं थी।
दाखिले में भी गड़बड़ी
विवि ने नियमों के विपरीत दाखिलों में न्यूनतम पात्रता मापदंड पूरे नहीं किए। सभी तरह के कोर्सो में दाखिले बिना प्रवेश परीक्षा के किए गए। परीक्षाओं की पेपर सेटिग के प्रभारी संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष होते थे। इसमें किसी प्रकार की गोपनीयता नहीं बरती जाती थी। कमेटी ने नियुक्तियों, पदोन्नतियों व परीक्षा में अनियमितताएं देख विश्वविद्यालय में प्रशासक नियुक्त कर जांच करवाने की सिफारिश की थी।
सीआइडी ने दर्ज किए बयान
वहीं सीआइडी ने विवि के विधि विभाग के कई छात्र के बयान दर्ज किए हैं। इसके अलावा विधि विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. आरके सिंह ने भी जांच एजेंसी को कई सुबूत सौंपे हैं। निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने भी कई वर्ष तक इन रिपोर्ट्स को दबाने का काम किया। इनके आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की।
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अध्यक्ष ने अपने स्तर पर फाइलें दबाकर कर रखी। मेरे साथ कभी भी निरीक्षण कमेटी की रिपोर्ट्स के बारे में मंत्रणा नहीं की। सीआइडी मामले की जांच कर रही है। अब दूध का दूध और पानी का पानी होगा। अब आयोग में भी अध्यक्ष व सदस्य नए नियुक्त हुए हैं।
-डॉ. एसपी कत्याल, पूर्व सदस्य, निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग