वन कटान मामले की सीबीआइ जांच में पेच
बहुर्चित वन रक्षक होशियार सिंह की मौत मामले से जुड़े अवैध वन कटान मामले की सीबीआइ जांच में कानूनी पेच फंस गया है।
रमेश सिंगटा, शिमला
बहुचर्चित वन रक्षक होशियार सिंह के मौत मामले से जुड़े अवैध वन कटान मामले की सीबीआइ जांच में कानूनी पेच फंस गया है। सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी के विधि विशेषज्ञों ने इसमें कुछ आपत्तियां लगाई हैं। कानूनी जानकारों ने कई बिंदुओं पर असहमति जताई है। इसके मद्देनजर तीसरी चार्जशीट नए सिरे से तैयार होगी। मामले में तथ्य फिर से खंगाले जाएंगे। इसके लिए सीबीआइ की एसआइटी मंडी के करसोग क्षेत्र के सैरी कतांडा बीट का फिर दौरा करेगी।
होशियार की मौत से जुड़े वन कटान मामले की सीबीआइ जांच अंतिम चरण में पहुंच गई है। लेकिन इस प्रकरण की अब तीसरी चार्जशीट दाखिल होने में वक्त लगेगा। ऐसा जांच रिपोर्ट की कानूनी पड़ताल के बाद हुआ है। अगर आपत्तियां न लगाई होती तो यह एक और चार्जशीट पिछले माह ही कोर्ट में दायर हो जाती। इस सिलसिले में दो चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं। जांच में यह बात साबित हो गई है कि कतांडा बीट अवैध कटान हुआ था। वन विभाग की एसआइटी ने 2017 में पेड़ कटान की पूरी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की थी। इसमें सैकड़ों पेड़ काटे जाने की सूचना थी। बाद में हाईकोर्ट ने मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही जांच
हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ की शिमला ब्रांच ने 26 अक्टूबर 2017 को तीन केस दर्ज किए थे। इनमें दो केस वन कटान और एक वन रक्षक की हत्या का था। ऐसा पुलिस की तीन एफआइआर के आधार पर किया गया। पहली चार्जशीट में आरोप था कि वन रक्षक को तत्कालीन डिप्टी रेंजर तेज राम ने प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए उकसाया। इसकी वन विभाग अपनी जांच अलग से कर रहा है। वहीं सीबीआइ की एक टीम करसोग में डटी हुई है। क्या है मामला
होशियार सिंह जून 2017 में लापता हो गया था। पांच जून को उसने सुबह शिक्षक पवन के घर नाश्ता किया। दोपहर एक बजकर 17 मिनट पर दादी को अंतिम कॉल की। तब वह उस स्पॉट के आसपास था, जहां नौ जून को पेड़ से लटका उसका शव बरामद हुआ। कुल तीन सुसाइड नोट मिले। इसमें एक में लिखा था कि वह छोड़कर तो जाना नहीं चाहता था। पर क्या करूं..संसार सच्चे आदमी को जीने नहीं देता है। इस दुनिया में ईमानदार होना सबसे बड़ा गुनाह है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने केस को सीआइडी के हवाले किया। बाद में हाईकोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे।