बेहतर फैसलों की बदौलत वन विकास निगम लाभ में आया
वन विकास निगम ने कई सुधार किए हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि अब निगम लाभ में है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : वन विकास निगम ने कई सुधार किए हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि अब निगम लाभ में आ गया है। पूर्व काग्रेस सरकार में यह निगम 113 करोड़ के संचित घाटे में चल रहा था। वहीं, अब एक से डेढ़ करोड़ के लाभ में पहुंच गया है। यह लाभ सभी तरह की देनदारिया पूरी करने के बाद प्राप्त हुआ है। इसकी पूरी रिपोर्ट निदेशक मंडल की दो नवंबर को होने वाली बैठक में रखी जाएगी।
वन निगम में पहली बार वन विभाग की तर्ज पर वनरक्षकों की भर्तियां हो रही हैं। भर्ती वन विभाग के ही माध्यम से होगी। इसके अलावा वन विभाग अलग से 100 वनरक्षकों की भर्ती करेगा। निगम पहली बार डिप्टी रेंजर के पदों पर 25 फीसद सीधी भर्ती करेगा, पहले ऐसा नहीं होता था। अब डिप्टी रेंजर को मंडलीय प्रबंधक यानी डीएम तक पदोन्नत होने के मौके मिलेंगे। अभी डीएम वन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आते हैं। ये डीएफओ रैंक के होते हैं। तीन वर्ष के अंदर निदेशक मंडल ने कई बड़े फैसले लिए।
दो बिरोजा फैक्टरी में उत्पादन और श्रम की समस्या को दूर किया गया। अब न केवल उत्पादन बढ़ गया है, बल्कि श्रमिकों की समस्याओं का भी समाधान कर लिया गया है। निगम का वर्ष 2012-13 तक 45 करोड़ का घाटा पहुंचा था, 2013 से 17 तक यह घाटा और बढ़ता गया और 113 करोड़ तक पहुंच गया।
वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी के अनुसार सरकार खासकर मुख्यमंत्री के निर्देश पर कई तरह के ठोस कदम उठाए गए हैं। भ्रष्टाचार को पूरी तरह से रोका गया है। उन्हें अधिकारियों की अच्छी टीम मिली है। निगम में मौजूदा एमडी अजय श्रीवास्तव की सेवानिवृत्ति को चार साल हैं। कार्यकारी निदेशक और निदेशक साउथ दोनों आइएफएस अधिकारी हैं, सब के सहयोग से वन विकास निगम नई ऊंचाई छू रहा है।
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कर्मचारियों को मिल सकती है राहत
बीओडी की बैठक में कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है। उनके लंबित मुद्दों पर इस पर फैसले होंगे। मौजूदा सरकार ने कर्मचारियों के लंबित वित्तीय मामलों का काफी हद तक निपटारा कर दिया है।