हिमाचल की हरियाली, देश में खुशहाली
हिमाचल हरियाली बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य की हरियाली पूरे देश को शुद्ध हवा दे रही है।
राज्य ब्यूरो, शिमला
हिमाचल हरियाली बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य की हरियाली पूरे देश को प्राणवायु प्रदान कर रही है। सीमित आर्थिक संसाधनों वाला यह पहाड़ी प्रदेश इस पर सालाना करीब 60 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। इसमें केंद्र का योगदान कुछ करोड़ तक ही सीमित है। 15 करोड़ रुपये तो नई पौध की नर्सरियां तैयार करने पर ही खर्च हो रहा है। औसतन हर साल एक करोड़ पौधे रोपे जा रहे हैं। साढ़े तीन दशक से हिमाचल में हरे पेड़ों के कटान पर पूरी तरह से पाबंदी है। प्रदेश को इससे राजस्व की बड़ी हानि हो रही है। केंद्र इसके बदले ग्रीन बोनस नहीं दे रहा है। हालांकि राज्य ने इस मांग को केंद्र की सभी सरकारों के साथ प्रमुखता से उठाया है। बावजूद इसके छोटे पहाड़ी प्रदेश के हकों की आवाज दिल्ली तक नहीं पहुंच पाती है। अगर पहुंचती भी है तो इसे अनसुना कर दिया जाता है। इन विपरीत हालातों के बाद भी हिमाचल ने हरियाली का अभियान अपने बूते जारी रखा है। यह हरियाली न हो तो पड़ोसी राज्यों को शुद्ध हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो जाए। हमारे पेड़ कारखानों से निकली जहरीली गैस, सड़कों पर दौड़ रहे अनगिनत वाहनों का धुंआ अपने अंदर सोख लेते हैं। फिर भी हरियाली बचाने की योजनाओं में राज्य को ज्यादा बजट आवंटित नहीं हो पाता है। केंद्र की हरियाली योजनाएं
हिमाचल में केंद्र की हरियाली बचाने से जुड़ी कई योजनाएं चल रही हैं। इसमें बजट दो से चार करोड़ तक ही आता है। एग्रो फॉरेस्ट्री योजना
यह कृषि मंत्रालय की योजना है। इसके तहत किसानों को फार्म के लिए प्लाट दिए जाते हैं। तकनीकी जानकारी वन विभाग देता है। इसमें पौधे भी यही वितरित करता है। इसकी एवज में कितने पैसे वसूलने हैं, इसके बारे में केंद्र ने अभी तक निर्णय नहीं लिया है। इसे चलाए हुए डेढ़ साल ही हुआ है। नेशनल अफोरस्टेशन प्रोग्राम
इसके तहत नर्सरी या पौध तैयार करने के लिए रजिस्टर्ड सोसायटी को मदद मिलती है। मेडिसिनल प्लांट्स
यह प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए गया है। अभी स्वीकृति नहीं मिल पाई है। बैंबू मिशन
इसमें अब पैसा नहीं आ रहा है। केवल पुराने बैंबू यानी बांस की मरम्मत ही हो पा रही है।
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- राज्य की योजनाएं
इम्प्रूमेंट ऑफ ट्री कवर
यह काफी पुरानी स्कीम है। इसके माध्यम से ग्रीन कवर बढ़ाया जाता है। स्मृति वन योजना
इसके तहत किसी मित्र, परिजन के नाम या जन्मदिन, सालगिरह के मौके पर पौधे रोपे जाते हैं। यह राज्यपाल आचार्य देवव्रत की पहल से आरंभ हुई। इसके अलावा अभी समुदाय वन संवर्द्धन योजना, विद्यार्थी वन मित्र योजना को राज्य सरकार की स्वीकृति मिलनी बाकी है। इन दो योजनाओं की सीएम जयराम ने बजट सत्र में घोषणा की थी। इनके अलावा कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट प्लान और विभिन्न प्रोजेक्टों के माध्यम से भी हरियाली बढ़ाई जाती है। ये प्रोजेक्ट विदेशी सहायता से संचालित किए जा रहे हैं।
हिमाचल की हरियाली के कारण देश को शुद्ध वायु मिलती है। जल संसाधन भी तो वनों के कारण ही मिलते हैं। वनों का आवरण बढ़ाने के लिए केंद्र कम और राज्य ज्यादा बजट खर्च करता है। कैंपा भी राज्य का ही पैसा है। प्रदेश के योगदान को देश भर को याद रखना चाहिए।
डॉ. जीएस गौराया, पीसीसीएफ