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छह दिन के सत्र पर खर्चे पांच करोड़

धर्मशाला के निकट तपोवन में प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र पर इस बार करीब पांच करोड़ रुपये खर्च हुए हें।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 10:06 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 10:06 PM (IST)
छह दिन के सत्र पर खर्चे पांच करोड़
छह दिन के सत्र पर खर्चे पांच करोड़

राज्य ब्यूरो, शिमला : धर्मशाला के निकट तपोवन में प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र पर इस बार करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। समूची सरकार के अमले पर इस प्रकार का खर्च हर साल होता है। शीतकालीन सत्र के दौरान मंत्रियों, अधिकारियों व कर्मचारियों के रहने, खाने और परिवहन व्यवस्था पर भारी खर्च होता है।

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महंगे होटलों का किराया भी इस खर्च में शामिल है। तपोवन में विधानसभा सत्र आयोजित करने का खर्च वर्ष-दर-वर्ष बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष तपोवन में छह दिन का शीतकालीन सत्र हुआ। आमतौर पर यहां चार दिन का सत्र होता है। वर्ष 2014 में तपोवन में शीतकालीन सत्र के दौरान करोड़ों रुपये खर्च हुए थे। वर्ष 2015 में शीतकालीन सत्र के दौरान खर्च करीब दो करोड़ रुपये आया था। इसमें 50 लाख रुपये से अधिक रहने और खाने का खर्च शामिल है। तपोवन में शीतकालीन सत्र के आयोजन को छोड़ दें तो साल में करीब 360 दिन विधानसभा परिसर का कोई प्रयोग नहीं होता है। यह आंकड़ा कुछ कम या अधिक भी हो सकता है क्योंकि कई बार सत्र चार दिन का होता है तो कई बार छह दिन का। तपोवन विधानसभा परिसर के शुभारंभ के समय निर्माण का उद्देश्य कागड़ा सहित चंबा, हमीरपुर, ऊना और मंडी जिलों के लोगों को सरकार के और करीब लाना था। लेकिन यह परिसर इस मकसद को पूरा करने में सफल नहीं हो रहा है। कांग्रेस ने तपोवन में शीतकालीन सत्र की शुरुआत की थी। लेकिन इस क्षेत्र की जनता ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पराजित कर दिया था। वर्ष 2006 से 2018 तक हर साल तपोवन परिसर का शीतकालीन सत्र के रूप में कुछ दिन ही इस्तेमाल हुआ है। परिसर पर बढ़ रहा खर्च

तपोवन विधानसभा परिसर पर हर वर्ष मरम्मत खर्च बढ़ता जा रहा है। हर वर्ष इसके रखरखाव पर तीन से चार करोड़ रुपये खर्च आता है। शीतकालीन सत्र को छोड़ दिया जाए तो इस परिसर में राष्ट्रीय ई-विधान प्रशिक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव बनाया गया था। वेतन पर मासिक तीन लाख रुपये खर्च

विधानसभा परिसर में वर्षभर तैनात रहने वाले कर्मचारियों के वेतन पर मासिक तीन लाख रुपये से अधिक खर्च होते हैं। परिसर में विधानसभा सचिवालय के दस कर्मचारी सेवारत हैं। पानी व बिजली का बिल अलग से चुकाना पड़ता है। सात महीने में बना था तपोवन

तपोवन विधानसभा परिसर रिकॉर्ड सात महीने में तैयार हुआ था। 25 दिसंबर 2006 को 35000 वर्ग फुट में परिसर बना था। कांग्रेस सरकार ने तपोवन में विधानसभा परिसर की नींव रखी थी।


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