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जल की रानी बनेगी स्वरोजगार का जरिया

प्रदेश में जल की रानी मछली स्वरोजगार का बड़ा जरिया बनेंगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 07:49 PM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 07:49 PM (IST)
जल की रानी बनेगी स्वरोजगार का जरिया
जल की रानी बनेगी स्वरोजगार का जरिया

राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में जल की रानी मछली स्वरोजगार का बड़ा जरिया बनेगी। सरकार ने इस संबंध में योजना तैयार की है। सरकार को उम्मीद है कि इससे 'नील क्रांति' आएगी। जलाशयों में मत्स्य पालन विशेषकर ठंडी नदियों में ट्राउट पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह योजना बनाई है। इस वर्ष 100 अतिरिक्त ट्राउट इकाइयां तथा कार्प फिश के उत्पादन के लिए 10 हेक्टेयर में तालाब निर्मित करने का लक्ष्य है। इससे करीब 550 लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। प्रदेश में ट्राउट मछली के बीज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र में दो ट्राउट हैचरी स्थापित की जाएंगी। इस वर्ष जलस्त्रोतों से करीब 171.57 करोड़ रुपये की मूल्य की करीब 13402 टन मछली उत्पादन हुआ है। विभागीय ट्राउट फार्मों से 8.34 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन भी किया गया है। वहीं निजी क्षेत्र में करीब 25.21 करोड़ रुपये की 560 मीट्रिक टन ट्राउट का उत्पादन किया है।

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पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश में 'रेनबो' ट्राउट के सफलतापूर्वक प्रजनन के परिणामस्वरूप अब कुल्लू के अलावा शिमला, मंडी, कांगड़ा, किन्नौर, चंबा व सिरमौर में भी निजी क्षेत्र में ट्राउट इकाइयों की स्थापना की गई है। प्रदेश में वर्ष 2022 तक ट्राउट मछली का 1000 मीट्रिक टन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है कितना रोजगार

राज्य के मुख्य जलाशयों में 6098 मछुआरों को पूर्णकालिक स्वरोजगार प्रदान किया है। इसमें 2054 लोगों को गोबिंद सागर में, 2674 को पौंग बांध, 129 को चमेरा, 42 को महाराजा रणजीत सागर और 111 को कोल बांध में रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। इन मछुआरों ने 8.52 करोड़ की लागत से 659.98 मीट्रिक टन मछली उत्पादन किया। यहां खुलेंगी नई इकाइयां

मत्स्य पालन के निदेशक सतपाल मेहता के अनुसार नोर्वेजन तकनीक की सहायता और रेनबोट्राउट के सफल प्रजनन को देखते हुए प्रदेश सरकार राज्य में सात अतिरिक्त ट्राउट इकाइयां कुल्लू, शिमला, मंडी, किन्नौर, कांगड़ा, चंबा और सिरमौर में स्थापित कर रही है। 12,650 किसान और मछुआरों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमवाइबीवाइ) के तहत लाया है। ऑफ सीजन के दौरान सरकार ने मछुआरों को 80.73 लाख की वित्तीय सहायता दी है। केंद्रीय तकनीकी संस्थान कोच्चि की तकनीकी सहायता से प्रदेश सरकार राज्य में भाखड़ा (गोबिंद सागर), खटियार (पौंग बांध), कथौड़ कलान (ऊना) और रतयौड़ (सोलन) में चार मत्स्य प्रसंस्करण इकाइयां भी स्थापित कर रहा है। इन इकाइयों द्वारा बाजार में मछली से बने उत्पाद जैसे मछली का आचार, फिश फिलिट्स, फिश बाऊल्स, फिश फिगर, पापड़ आदि उपलब्ध करवाए जाएंगे।

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