हिमाचल में बनेगा पहला ईको फ्रेंडली फोरलेन
ईको फ्रेंडली फोरलेन बनाने के लिए स्वॉयल स्टेब्लाइजेशन (मिट्टी की मजबूती) तकनीक इस्तेमाल होगी।
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। ईको फ्रेंडली यानी पर्यावरण के अनुकूल। आपने ईको फ्रेंडली दीवाली या ईको फ्रेंडली मकान सुने होंगे मगर अब हिमाचल में पहला ईको फ्रेंडली फोरलेन बनेगा। पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए बिना बनने वाला यह फोरलेन प्रदेश की अन्य सड़कों के लिए मॉडल होगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले मंडी और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के गृह जिले हमीरपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 154 नादौन-जोगेंद्रनगर के 127 किलोमीटर हिस्से को फोरलेन बनाया जाएगा।
इस राजमार्ग पर मंडी से धर्मपुर, सरकाघाट व हमीरपुर तक ईको फ्रेंडली तकनीक से फोरलेन बनेगा। इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है। प्रस्ताव को केंद्र से जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इसके बाद फोरलेन का कार्य शुरू होगा।
केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्रालय ने प्रदेश सरकार से प्रस्तावित फोरलेन के बीच ऐसे स्थानों का पता लगाने के लिए कहा है जहां भूस्खलन की ज्यादा संभावना है। इसके लिए भूगर्भीय वैज्ञानिक रिपोर्ट मांगी गई है।
ईको फ्रेंडली फोरलेन के फायदे
-सड़क ठंडी कोलतार से बनेगी। इससे प्रदूषण नहीं होगा।
-वैज्ञानिक तरीके से खोदाई की जाएगी। इस कारण कम से कम भूस्खलन होगा।
-कम से कम पौधे काटे जाएंगे।
-बहुत कम डंगे लगेंगे।
-भूमि कटाव के दौरान भूस्खलन रोकने के लिए सड़क किनारे दीवारों के स्थान पर लंबी जड़ों वाली घास व पौधे लगाए जाएंगे।
मिट्टी को दी जाएगी मजबूती
ईको फ्रेंडली फोरलेन बनाने के लिए स्वॉयल स्टेब्लाइजेशन (मिट्टी की मजबूती) तकनीक इस्तेमाल होगी। इसमें मिट्टी, सीमेंट के साथ खास केमिकल का इस्तेमाल कर सड़क का आधार तैयार किया जाता है जो कंक्रीट जितना मजबूत होता है। इसमें कोयले की राख को भी प्रयोग किया जाता है। आधार बनने के बाद सड़क की ऊपरी सतह को कोलतार कंक्रीट से तैयार किया जाता है। इसमें गिट्टी (रोड़ी) का उपयोग न के बराबर होता है। रेत भी 30 प्रतिशत तक कम लगती है। केंद्र सरकार को ईको फ्रेंडली फोरलेन का प्रस्ताव भेजा गया है।
-भुवन शर्मा, मुख्य अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण