Move to Jagran APP

वित्तायोग पर नजर, बरकरार रहेगा अनुदान या नहीं

पंद्रहवें वित्तायोग का तीन दिवसीय हिमाचल दौरा मंगलवार से शुरू होगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 12:44 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 12:44 AM (IST)
वित्तायोग पर नजर, बरकरार रहेगा अनुदान या नहीं
वित्तायोग पर नजर, बरकरार रहेगा अनुदान या नहीं

राज्य ब्यूरो, शिमला : पंद्रहवें वित्तायोग का तीन दिवसीय हिमाचल दौरा मंगलवार से शुरू होगा। भाजपा सरकार ने वित्तायोग के समक्ष राज्य के हितों की पैरवी करने की पूरी तैयारी कर ली है। विपक्षी कांग्रेस राज्य की उपेक्षा को राजनीतिक आधार पर भुनाने का कोई मौका नहीं चूकेगी। मा‌र्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष ध्यान देने का प्रस्ताव तैयार किया है।

loksabha election banner

राज्य सरकार आय के साधन विकसित करने में नाकाम रही है। प्रदेश केंद्र की वित्तीय मदद से ही चल रहा है। इसका नतीजा यह है कि हमारा राजस्व घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। अहम सवाल यह है कि देश में एक कर प्रणाली जीएसटी लागू होने के बाद हिमाचल प्रदेश को मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान प्राप्त होता रहेगा, बंद होगा या इस पर कैंची चलेगी? सरकार चाहती है कि जीएसटी के बावजूद अनुदान मिलता रहे। इस समय प्रदेश सरकार को 40,625 करोड़ रुपये राजस्व घाटा अनुदान के तहत मिल रहा है। कर्मचारियों का वेतन व पेंशन सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। 14वें वित्तायोग ने राज्य को पांच वर्ष की अवधि के लिए अपेक्षाओं से अधिक दिया था। वर्ष 2015 से लेकर 2020 की अवधि के लिए निर्धारण हुआ था। 13वें वित्तायोग की ओर से 32 प्रतिशत की वृद्धि को 14वें वित्तायोग ने 232 प्रतिशत तक बढ़ाया था। राजस्व घाटा अनुदान पहले 7889 करोड़ था जो बढ़कर 40,625 करोड़ हुआ। परिणामस्वरूप सरकार को प्रति माह केंद्र से करीब 700 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं। पिछले वित्तायोग ने केंद्रीय करों में राज्य को मिलने वाली राशि को 42 प्रतिशत तक पहुंचा दिया था। उससे पहले 32 प्रतिशत कर प्राप्ति थी। आज राजनीतिक दलों से मिलेगी वित्तायोग की टीम

वित्तायोग की टीम 25 सितंबर को प्रदेश में राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस व माकपा से मिलेगी। शहरी व ग्रामीण निकायों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात होगी। 26 सितंबर को टीम मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व मंत्रियों से चर्चा करेगी। उद्योग, पर्यटन व होटल व्यवसायियों के साथ चर्चा होगी। वहीं, 27 सितंबर को टीम कांगड़ा जिला के दौरे पर जाएगी। वहां स्वेच्छा से किसी भी क्षेत्र का दौरा होगा और उपायुक्त के साथ बैठक की जाएगी। पेंशन के लिए 17 हजार करोड़

देश में सर्वाधिक कर्मचारी प्रतिशत वाले राज्य हिमाचल में सालाना 17,156 करोड़ रुपये पेंशन पर खर्च होते हैं। कर्मचारियों के वेतन व पेंशन का खर्च लगातार बढ़ रहा है। सातवां वेतनमान आने के बाद करीब डेढ़ हजार करोड़ का खर्च बढ़ना तय है।

---------- भाजपा के साथ खड़ी होगी कांग्रेस, वन बचाने के लिए मांगेंगे 20 हजार करोड़

कई मामलों में एक-दूसरे को घेरने वाली कांग्रेस अब भाजपा के साथ खड़ी होगी। प्रदेश हित को सर्वोपरि रखते हुए वन बचाने की एवज में 20 हजार करोड़ रुपये देने का मामला उठाया जाएगा। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में हिमाचल की बकाया हिस्सेदारी के 25 हजार करोड़ चुकाने के लिए वित्तायोग से आग्रह होगा।

आग्रह किया जाएगा कि राज्य पर 47 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को केंद्र सरकार माफ करे या फिर उदार शर्तो पर कर्ज की व्यवस्था सुनिश्चित करे। देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर को मिलने वाली विशेष सहायता हिमाचल को भी प्राप्त होनी चाहिए। जलविद्युत क्षेत्र सौर ऊर्जा के आने से धड़ाम से गिर गया है। राज्य के पास अपने आर्थिक संसाधन नहीं हैं। ऐसे में केंद्र से मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान यथावत जारी रहना चाहिए। सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी कांग्रेस और माकपा के पदाधिकारी मंगलवार को 15वें वित्तायोग के समक्ष अपनी बात रखने के लिए पहुंचेंगे।

दोपहर बाद राजनीतिक दलों के साथ शुरू होने वाली बैठक में भाजपा की ओर से प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, विधानसभा में पार्टी की ओर से मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा व संगठन के चंद्रमोहन ठाकुर मिलेंगे। विपक्षी कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू, कर्नल धनीराम शांडिल व रामलाल ठाकुर मुलाकात करेंगे। विधानसभा में माकपा का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र विधायक राकेश सिंघा के साथ डॉ. कुलदीप सिंह तंवर, डा. ओंकार शाद व संजय चौहान प्रतिनिधित्व करेंगे।

हिमाचल को मिलें 25 हजार करोड़ रुपये

सरकार के मसौदे का कांग्रेस पूरजोर समर्थन करेगी। वन हमारे लिए कमाई का प्रमुख साधन था। लेकिन केंद्र सरकार ने वन कटान पर प्रतिबंध लगाया। प्रदेश ने पर्यावरण संरक्षण किया, पड़ोसी राज्यों को पानी उपलब्ध करवाया मगर हिमाचल को कुछ नहीं मिला। जलविद्युत क्षेत्र घाटे का सौदा हो गया। बीबीएमबी मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार से हिमाचल को एकमुश्त 25 हजार करोड़ रुपये दिए जाएं।

मुकेश अग्निहोत्री, नेता प्रतिपक्ष। हर योजना में हो समान प्रावधान

केंद्र सरकार राज्य के हितों की पूर्ति कर रही है। केंद्रीय योजनाओं में 90:10 का अनुपात सुनिश्चित किया गया है। जो भी सरकार की ओर से मांगा जा रहा है, केंद्र सरकार राज्य को प्रदान कर रही है। उतर-पूर्वी राज्यों की तर्ज पर राज्य को प्रत्येक योजना में समान तौर पर प्रावधान किया जाए।

-सतपाल सिंह सत्ती, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष। रेल विस्तार के लिए केंद्र सरकार खर्च उठाए

वित्तायोग को केंद्र के दबाव से बाहर निकलना होगा। उसके बाद हिमाचल को 50 प्रतिशत कर प्राप्ति में हिस्सेदारी देनी होगी। हम सड़क परिवहन सुविधा पर निर्भर हैं। इसलिए रेल विस्तार के लिए केंद्र सरकार खर्च उठाए। सेब हमारी अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है। इसलिए हर साल 700 करोड़ रुपये मिलने चाहिए। वन बचाने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये एकमुश्त दिए जाएं।

- राकेश सिंघा, माकपा विधायक।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.