आलू की भरमार, बेचने को नहीं तैयार
एशिया की सबसे पहली एवं सरकार की लाहुल पोटैटो सोसायटी (एलपीएस) को किसान आलू बेचेने के लिए तैयार नहीं हैं।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला
एशिया की सबसे पहली एवं सरकार की लाहुल पोटैटो सोसायटी (एलपीएस) को कई किसान आलू बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका इस सोसायटी पर विश्वास कम हो रहा है। इस साल आलू की बेहतर पैदावार हुई है। इसके बावजूद लाहुल में पैदा हुए करीब 70 हजार क्विंटल आलू बीज में से नौ हजार क्विंटल आलू बीज को ही एलपीएस खरीद सकी है।
जिस आलू को गुजरात में करीब तीस वर्ष पूर्व बेचा गया, उसके दो करोड़ रुपये अभी तक वहां के आढ़तियों से वसूल नहीं कर हो सके हैं। इस कारण एलपीएस बंद होने की कगार पर है। कारोबार के लिहाज से एलपीएस किसी समय अमूल के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी कोऑपरेटिव सोसायटी रही है। एलपीएस एशिया की दूसरी सबसे बड़ी आलू सोसायटी मानी जाती है। एलपीएस में 2087 सदस्यों में से करीब 1300 सदस्य सक्रिय हैं। इस सोसायटी का गठन 23 मई 1966 को किया गया था। इसमें 11 निदेशक व करीब 40 कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। इनके वेतन पर हर महीने लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं। इस वर्ष सोसायटी ने सेब भी नहीं खरीदे हैं। केवल लोगों द्वारा जूस, अचार, चटनी के लिए उत्पाद लाए जा रहे हैं और उनको ही तैयार किया जा रहा है। पूर्व में एलपीएस में अनियमितताओं के आरोप भी लग चुके हैं। एलपीएस में तैनात कर्मचारी व उनका वेतन
पद,कर्मी,वेतन प्रति कर्मचारी
क्लर्क,12,35000
कनिष्ठ सहायक,6,45000
अकाउंटेंट,4,48000
सहायक अकाउंट ऑफिसर,1,56000
चौकीदार व चपरासी,10,85,00
(वेतन रुपये मासिक में)
लाहुल आलू सोसायटी ने इस साल नौ हजार क्विंटल आलू खरीदा है। सोसायटी को 1990 से लेकर करीब दो करोड़ की राशि गुजरात के आढ़तियों से लेनी है।
-रामलाल मार्कंडेय, कृषि मंत्री
पिछले वर्ष 35 हजार क्विंटल से अधिक आलू बीज खरीदा गया था। कुछ ऐसे किसान हैं जिनसे पिछले वर्ष आलू बीज खरीदा गया मगर उन्हें अभी कुछ राशि का भुगतान नहीं हुआ है।
राजेंद्र, एमडी, लाहुल आलू सोसायटी