बिजली संशोधन कानून 2018 के खिलाफ कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन
शिमला में बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने बिजली संशोधन कानून 2018 के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया।
शिमला, जेएनएन। बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने बिजली संशोधन कानून 2018 के खिलाफ राज्य बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस शिमला में धरना प्रदर्शन किया। इस कानून के लागू होने से 23000 कर्मचारियों की पेंशन अदायगी पर प्रश्न चिन्ह लगने की आशंका जताई गई है । राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ का आरोप है कि इस नए कानून के तहत राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को तीन कंपनियों में बांट दिया जाएगा जिससे उनके वेतन और पेंशन सहित उपभोक्ता भी प्रभावित होंगे।
नए कानून के तहत बिजली की सब्सिडी को समाप्त करने की भी योजना है और इसका सीधा प्रभाव प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। इसी के विरोध में राज्य बिजली बोर्ड तकनीकी कर्मचारी संघ व अन्य कर्मचारी संघ ने धरना देकर अपना विरोध जताया और बिजली बोर्ड और प्रदेश सरकार से मांग की कि इस तरह के कानून को लागू ना किया जाए।
कानून बनने के बाद 3 वर्ष के अंदर प्रदेश में विद्युत दरों की निर्धारण में क्रॉस सब्सिडी की प्रक्रिया को खत्म करना। बिजली नियामक आयोग की भर्ती प्रक्रिया में चयन कमेटी को वर्तमान तीन से 6 सदस्य बनाना शामिल है ।जिसमें 4 सदस्य केंद्र सरकार से होंगे जबकि घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली खपत पर मिलने वाली सब्सिडी को घरेलू गैस सिलेंडर की तरह सीधे उपभोक्ताओं के खाते में भेजना प्रस्तावित है। बिजली वितरण कंपनियों के बिजली पहुंचाने या बिजली बेचने के कार्यों को अलग अलग किया जाएगा। इसकी दो या इससे अधिक कंपनियों में बांटना अनिवार्य होगा।
संशोधन कानून के प्रभाव में आने से बोर्ड बंट जाएगा और सभी कार्यों को अलग अलग करने के साथ वितरण के कार्य को छोटी छोटी कंपनियों में बांटा जाएगा। बिजली मापने के लिए जगह-जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और बिजली की कंपनियों के अलग अलग करने से बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ेगा।