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अब पर्यावरण सहेजेंगे इलेक्ट्रिक वाहन

पर्यावरण को सहेजने के लिए हिमाचल में पर्यावरण मित्र इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या अब बढ़नी लगी है। शिमला हिमाचल का पहला शहर बनेगा जहां सार्वजनिक 50 इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे।

By Edited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 09:43 AM (IST)
अब पर्यावरण सहेजेंगे इलेक्ट्रिक वाहन
अब पर्यावरण सहेजेंगे इलेक्ट्रिक वाहन

शिमला, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण के लिए हर देश चिंतित है। भारत भी पर्यावरण को सहेजने के लिए कई प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण मित्र इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या अब बढ़नी लगी है। शिमला व मनाली इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बन रहे हैं। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने शिमला में पहली इलेक्ट्रिक बस शुरू कर दी है। शिमला में 50 इलेक्ट्रिक बसें चलनी हैं। पहले चरण में 30 बसें और दूसरे चरण में 20 बसें चलाई जाएंगी।

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शिमला प्रदेश का पहला शहर बनेगा जहां सार्वजनिक 50 इलेक्ट्रिक वाहन चलेंगे। शिमला शहर में 11 इलेक्ट्रिक टैक्सियां संजौली, भट्टाकुफर, विकासनगर, कसुम्पटी, न्यू शिमला, टूटु व सचिवालय में चल रही हैं। इससे पहले मनाली में भी 25 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं। प्रदूषणमुक्त हैं बसें इलेक्ट्रिक बसें एक बार चार्ज होने पर 150 किलोमीटर तक चलती हैं। इनकी खासियत यह है कि ये बसें प्रदूषणमुक्त हैं। इन बसों के चलने से पर्यावरण साफ रहेगा। दूसरे वाहनों की तरह डीजल से निकलने वाला धुआं लोगों के स्वास्थ्य पर असर नहीं डालेगा। इन बसों के रखरखाव पर खर्च अन्य वाहनों की तुलना में कम है।

हिमाचल का नाम यहां के पर्यावरण की वजह से दुनियाभर में है। हिमाचल के दोनों प्रमुख पर्यटन स्थलो शिमला और मनाली में की गई इलेक्ट्रिक बसों की पहल मिसाल बनकर उभर रही है। सेहत के लिए धुआं घातक डीजल की गाड़ियों से निकलने वाला धुआं काफी घातक होता है।। ऐसे वाहन नाइट्रोजन आक्साइड व सल्फर आक्साइइ का उत्सर्जन कर वायु को प्रदूषित करते हैं। इनसे वातावरण में अधिक हानिकारक कण तैरने लगते हैं।

डीजल वाहनों से निकलने वाला नाइट्रोजन आक्ससाइड हवा में अधजले कणों के कारण काफी खतरनाक माना जाता है। डीजल के धुएं में लगभग 80 से 95 फीसद जो कण मिले होते हैं, वे 0.1 माइक्रोन से भी छोटे होते हैं। ये कण फेफड़ों में गहरे समा सकते हैं। इससे फेफड़ों में सूजन हो सकती है। इनसे बच्चों में दमा होने की आशंका बढ़ जाती है। फेफड़ों के कैंसर में भी काफी अहम भूमिका डीजल का धुआं फैलाता है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहन अधिक चलने से वातावरण शुद्ध रहने के साथ लोगों की सेहत भी बेहतर रहेगी।

मनाली और शिमला में इलेक्ट्रिक वाहन चल रहे हैं। इन वाहनों के रखरखाव पर खर्च कम होता है। ये वाहन प्रदूषणमुक्त होते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन पर्यावरण के लिए काफी मददगार साबित हो रहे हैं।

एचके गुप्ता, सीजीएम, एचआरटीसी


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