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सड़क पर सवार जुब्बल-कोटखाई की सियासत

जुब्बल- कोटखाई सेब बहुल बेल्ट है। यहां का सेब देश- विदेश की मंडियों में धाक जमाता रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 08:43 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 08:43 AM (IST)
सड़क पर सवार जुब्बल-कोटखाई की सियासत
सड़क पर सवार जुब्बल-कोटखाई की सियासत

रमेश सिंगटा, शिमला

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जुब्बल-कोटखाई सेब बहुल बेल्ट है। यहां का सेब देश-विदेश की मंडियों में धाक जमाता रहा है। इसी प्रकार प्रदेश की राजनीति में भी इस विधानसभा हलके का अहम योगदान रहा है। रामलाल ठाकुर इसी क्षेत्र से विधायक रहे और मुख्यमंत्री पद का सफर तय किया। स्वर्गीय रामलाल का पोता रोहित ठाकुर कांग्रेस पार्टी में विरासत की सियासत को आगे बढ़ा रहे हैं। पूर्व कांग्रेस सरकार में वह न केवल विधायक बने बल्कि सीपीएस भी रहे। वहीं अभी मौजूदा विधायक नरेंद्र बरागटा हैं। वह पहले भी मंत्री रहे हैं। इस कार्यकाल में उन्हें विधानसभा में मुख्य सचेतक का ओहदा मिला है। क्षेत्र की राजनीति भाजपा और कांग्रेस के इन दोनों धुरंधरों के बीच केंद्रित रहती है। ये एक दूसरे पर वार-पलटवार का मौका नहीं चूकते। पिछले 12 वर्ष से तीन विधानसभा चुनाव में ठियोग-हाटकोटी-रोहड़ू सड़क सबसे बड़ा मुद्दा रही है। सड़क की पिच पर सियासत का सफर आगे बढ़ा। आम चुनाव में भी आज यही मसला हर जगह गूंज रहा है।

जुब्बल-कोटखाई की सियासत एक बार फिर सड़क पर सवार हो गई है। ठियोग-हाटकोटी-रोहड़ू सड़क डबल लेन में परिवर्तित होनी थी। वर्ष 2007 से आज तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा को इसी मसले पर विधायक की कुर्सी भी गंवानी पड़ी थी। बाद में इसे लेकर पूर्व कांग्रेस सरकार के वक्त भाजपा नेता बरागटा ने सत्याग्रह आंदोलन चलाया। सड़क के मामले पर बनी सीडी की गूंज तो हाईकोर्ट तक सुनाई दी। सत्ता बदलाव जरूर हुआ, लेकिन अभी तक इसका कुछ भाग का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। बरागटा ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर ही सवाल उठा दिए हैं। दबाव का असर यह हुआ कि यह कार्य सीएंडसी कंपनी से वापस ले लिया गया। अब खराब दीवारों की गुणवत्ता की जांच होगी। इसमें ठेकेदार, कांग्रेस नेता और अफसरों की मिलीभगत के आरोप लगे हैं। इसी का निर्माण कार्य चीनी कंपनी ने भी किया था।

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85 किलोमीटर है सड़क

इस सड़क की लंबाई करीब 85 किलोमीटर है। सेब उत्पादन क्षेत्र में इसे लाइफ लाइन कहा जाता है। अगर पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान सत्याग्रह आंदोलन न चला होता तो फिर उस सूरत में इसके निर्माण की रफ्तार और धीमी रहती। इस सड़क ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को संजीवनी भी दी। जिस मुद्दे पर नरेंद्र बरागटा हार गए थे, उसी पर जीत दर्ज कर गए।

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क्षेत्र की मुख्य सड़क के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार दोषी है। सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं। मेरा आरोप है कि ठेकेदारों, कांग्रेस नेताओं और सरकार के अधिकारियों की मिलीभगत रही है। इसकी सरकार जांच करवा रही है। मैंने इस मामले को विधानसभा में भी प्रमुखता से उठाया था। प्रदेश सरकार बचे हुए पैच का निर्माण पूरा करेगी। सड़क को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के हवाले कर दिया है।

-नरेंद्र बरागटा, मुख्य सचेतक एवं भाजपा नेता।

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पूर्व कांग्रेस सरकार ने सड़क के निर्माण की गति तेज की। भाजपा ने विपक्ष में रहते केवल शोर मचाया। जब पूर्व में 2007 से 2012 तक भाजपा की सरकार रही तो तब खुद कुछ नहीं किया। 2012 से 2017 के बीच काफी कार्य हुआ। मौजूदा सरकार ने सत्ता में आते ही शेष बचे थोड़े कार्य को रुकवा दिया। कंपनी पर पेनल्टी डाल दी। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि इस सड़क का जल्द पूरा निर्माण हो। यह आम चुनाव में भी मुद्दा बनेगी।

-रोहित ठाकुर, पूर्व सीपीएस।


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