मोबाइल फोन बच्चों के लिए खतरनाक, काउंसिलिंग करेगा विभाग
मोबाइल फोन के दुष्परिणामों से बच्चों को बचाने के लिए सरकारी स्कूलों में एक खास अभियान चलाया जाएगा इसके लिए शिक्षकों को खास प्रशिक्षण दिया जाएगा।
शिमला, जेएनएन। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से होने वाली बीमारियों पर शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग जागरूक करेगा। उन्हें बताया जाएगा कि मोबाइल पर गेम खेलने और इंटरनेट के ज्यादा इस्तेमाल से उनकी आंखों पर क्या असर पड़ेगा यही नहीं।
इसके अलावा बताया जाएगा कि उनके स्वभाव में भी क्या बदलाव आ सकते हैं। दोनों विभाग किशोर अवस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव को लेकर छात्रों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाते हैं। इसमें पहली बार मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से बच्चों को होने वाले नुकसान पर भी जागरूक करने का फैसला लिया गया है। मंगलवार को शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग की बैठक में इस अभियान को शुरू करने को लेकर चर्चा की गई। बैठक में फैसला लिया कि पहले चरण में यह अभियान ग्रीष्मकालीन अवकाश वाले 400 स्कूलों में शुरू किया जाएगा। शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों में 25 दिसंबर से छुट्टियां पड़ रही हैं। ऐसे में छुट्टियां खत्म होने के बाद दूसरे चरण में इन स्कूलों में इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
शिक्षकों को बनाया जाएगा मास्टर ट्रेनर
प्रदेश के सभी जिला डाईट केंद्रों और एससीईआरटी में शिक्षकों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा। वे आगे छात्रों को स्कूलों में जाकर इसके बारे में जागरूक करेंगे। आठवीं, 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए काउंसलिंग करवाई जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने छात्रों को सरल भाषा में कैसे समझाया जा सकता है इसका पूरा मॉडयूल तैयार किया है।
किशोर अवस्था में होने वाले बदलाव को लेकर स्कूलों में काउंसलिंग की जाएगी। शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग मिलकर इस कार्यक्रम को स्कूलों में शुरू कर रहा है। इसको लेकर मंगलवार को बैठक हुई है। छात्रों को मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल के परिणाम के बारे में भी बताया जाएगा। ग्रीष्मकालीन अवकाश वाले स्कूलों में इस कार्यक्रम को पहले चरण में शुरू किया जा रहा है। दूसरे चरण में शीतकालीन अवकाश वाले स्कूल शामिल किए जाएंगे।
- डॉ. प्रमोद चौहान, संयुक्त निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग।
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