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पानी की किल्लत से होटल उद्योग को करोड़ों का नुकसान

नगर निगम के रवैये के कारण 21 होटल शिमला के स्थायी तौर पर बंद हो गए हैं। यही नहीं साठ फीसद होटलों को उनके मालिकों को आगे लीज पर देने को मजबूर होना पड़ा है।

By Edited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 09:46 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 03:50 PM (IST)
पानी की किल्लत से होटल उद्योग को करोड़ों का नुकसान
पानी की किल्लत से होटल उद्योग को करोड़ों का नुकसान

शिमला, राज्य ब्यूरो। राजधानी में पानी की किल्लत के कारण होटल उद्योग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। करीब पचास फीसद पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद करवा दी, जिससे होटल उद्योग बहुत प्रभावित हुआ है। कई माह से चल रही पानी की किल्लत ने पर्यटकों को शिमला की अपेक्षा अन्य पर्यटन स्थलों की ओर जाने के लिए मजबूर किया है। यही नहीं टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर एसोसिएशन ने तो नगर निगम शिमला पर होटल उद्योग को बर्बाद करने का आरोप लगाया है।

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पानी को महंगा देने के साथ पानी का प्रबंध करने में नाकाम रहा है। नगर निगम के रवैये के कारण 21 होटल शिमला के स्थायी तौर पर बंद हो गए हैं। यही नहीं साठ फीसद होटलों को उनके मालिकों को आगे लीज पर देने को मजबूर होना पड़ा है। होटलों के लिए डोर टू डोर गारबेज योजना के तहत राशि को लगातार बढ़ाने से होटल प्रभावित हो रहे हैं। नगर निगम शिमला घरेलू उपभोक्ताओं को सब्सिडी प्रदान कर पानी के ज्यादा दाम होटल उद्योगों पर डाल रहा है। यही नहीं पचास फीसद सीवरेज सैस लगाया गया है। दस कमरों से कम के होटलों से पहले 500 रुपये प्रति होटल कूड़ा उठाने के लिए फीस प्रति माह ली जाती थी जो अब बढ़ाकर 1300 रुपये की जा रही है। 21 होटलों के बंद होने के साथ लगातार घाटे में जा रहा होटल उद्योग ठप होने की कगार पर है और साठ फीसद के करीब होटल तो लीज पर देने पड़ गए हैं।  

होटल उद्योग प्रदेश में रोजगार प्रदान करने वाला उद्योग है। नगर निगम व्यावसायिक दरों से भी कई गुणा अधिक दाम पानी और कूड़ा उठाने के ले रहा है। नगर निगम शिमला होटल उद्योग को बर्बाद करने में लगा हुआ है।

-मोहेंद्र सेठ अध्यक्ष, टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर एसोसिएशन।


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