अब दागी अधिकारियों की सूची से बाहर होंगे डीएसपी
सीबीआइ ने जिस केस में डीएसपी को मेजर पेनेल्टी लगाने की सिफारिश की थी हिमाचल पुलिस की विभागीय जांच में उसे राहत मिली है। सूत्रों के अनुसार गृह विभाग ने एक साल से फाइल दबा कर रखी। अब इस फाइल को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेजी गई है। पौने सात साल इस अधिकारी ने बिना किसी कसूर के सजा भुगती। ऐसा तब हुआ जब उसे विभागीय जांच में इस अधिकारी को बेकसूर करार दिया है। जैसे ही मुख्यमंत्री से फाइल ओके होगी इन्हें दागी अधिकारियों की सूची से बाहर कर दिया जाएगा। यानी इस अफसर को खाकी पर लगे दाग को धोने में अभी कुछ और वक्त लगेगा। हैरान इस बात की है पुलिस विभाग ने पांच जांच अधिकारियों में से केवल एक ही अफसर के खिलाफ विभागीय जांच खोली। चूंकि तत्कालीन थाना प्रभारी मदन धीमान पदोन्नत होकर डीएसवी बन गए थे।
रमेश सिंगटा, शिमला
सीबीआइ ने जिस केस में डीएसपी को मेजर पेनेल्टी लगाने की सिफारिश की थी, हिमाचल पुलिस की विभागीय जांच में उसे राहत मिली है। सूत्रों के अनुसार गृह विभाग ने एक साल से फाइल दबाकर रखी थी। अब यह फाइल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेजी गई है। पौने सात साल इस अधिकारी ने बिना किसी कसूर के सजा भुगती।
विभागीय जांच में इस अधिकारी को बेकसूर करार दिया गया है। जैसे ही मुख्यमंत्री से फाइल ओके होगी, इन्हें दागी अधिकारियों की सूची से बाहर कर दिया जाएगा। हैरत यह है कि पुलिस विभाग ने पांच जांच अधिकारियों में से केवल एक ही अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच खोली। चूंकि तत्कालीन थाना प्रभारी मदन धीमान पदोन्नत होकर डीएसपी बन गए थे, इस कारण चार अन्य इंस्पेक्टरों को डीजीपी कार्यालय ने ही बिना जांच किए क्लीनचिट दे दी। सीबीआइ ने पुलिस, एसआइयू, सीआइडी के सभी जांच अधिकारियों के खिलाफ मेजर पेनेल्टी की सिफारिश की थी। इसमें नौकरी से हाथ धोने तक की व्यवस्था है।
गोलीकांड की शुरुआती जांच शिमला पुलिस ने की थी। तब बालूगंज थाने के एसएचओ मदन धीमान थे। उन्होंने उदयबीर, हर्ष, नितिन समेत पांच युवकों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था। आरोप था कि इन आरोपितों ने पुलिस कांस्टेबल पर हमला किया था। रात को एक आराोपित की मौत हो गई थी। इसके बाद दूसरा मामला पुलिस कांस्टेबल के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का दर्ज हुआ था। आरोप था कि पुलिस कर्मी ने अपनी बंदूक से फायर किया था। चार दिन के बाद एसएचओ का तबादला हो गया। इसके बाद जांच एसआइयू को सौंपी गई। करीब बीस दिन बाद डीजीपी ने सीआइडी जांच के आदेश दिए थे। सीआइडी जांच में कांस्टेबल के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में कैंसलेंशन रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गई जबकि हत्या के प्रयास का केस कायम रखा। दोनों मामले कोर्ट भेजे गए। क्या है मामला
शिमला के टूटीकंडी बाईपास पर नौ जनवरी 2013 की रात को नितिन नामक युवक ने पुलिस की केस प्रॉपर्टी की गाड़ियों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। वहां तैनात कांस्टेबल रणवीर ने जब उसे रोका तो उसने उनके साथ हाथापाई की। इस मारपीट में दो अन्य युवक हर्ष व उदयवीर भी शामिल हो गए। इस दौरान कांस्टेबल ने गोली चलाई। इससे चक्कर निवासी उदयवीर की मौत हो गई थी। सीबीआइ ने सीआइडी के विपरीत की जांच
सीबीआइ ने इस मामले में सीआइडी के विपरीत जांच की। सीआइडी ने जिस केस की कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार की थी, उसमें मुख्य चार्जशीट तैयार की जबकि हत्या के प्रयास के केस में कैंसलेंशन रिपोर्ट बनाई। जांच एजेंसी का आरोप था कि मदन धीमान ने चोरी के आर्टिकल रिकवर नहीं किए। मौके से डंडे व पत्थरों को प्रयोगशाला नहीं भेजा। जांच में धीमान समेत पुलिस, एसआइयू व सीआइडी के सभी जांच अधिकारियों पर मेजर पेनेल्टी लगाने की सिफारिश की गई थी।