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नशे का कारोबार काला, तरीका नया निकाला

नशा माफिया ने युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए नए हथकंडे अपना लिए हैं। युवाओं को फंसाने के लिए कई हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 06:45 PM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 06:45 PM (IST)
नशे का कारोबार काला, तरीका नया निकाला
नशे का कारोबार काला, तरीका नया निकाला

रविंद्र शर्मा, शिमला

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नशा माफिया ने युवाओं को अपने जाल में फंसाने के लिए नए हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं। नशीली दवाइयों के लिए दवा की दुकानें पहले आसान स्रोत थीं। अब प्रदेश में नशीली दवाइयों की चलती फिरती दुकानें युवाओं को नशेड़ी बना रही हैं। ये दुकानें प्रतिबंधित दवाइयों को युवाओं तक पहुंचा रही हैं।

नशा माफिया ने अपने काले कारोबार के लिए नए तरीके ढूंढ निकाले हैं। माफिया से जुड़े लोग नशे के लिए प्रयोग किए जाने वाले 100 से 500 कैप्सूल को जेब या बैग में डालकर स्कूलों व कॉलेजों के आसपास घूमते रहते हैं। नशे के आदी हो चुके युवा इन लोगों के संपर्क में रहते हैं। वे इनसे नशे के लिए कैप्सूल या प्रतिबंधित दवाइयां खरीदते हैं। कई दवा विक्रेता अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में युवाओं को प्रतिबंधित दवाइयां व कैप्सूल बेचते हैं। ट्रेमाडोल का नशे के लिए दुरुपयोग

हिमाचल में ट्रेमाडोल दवा का सबसे अधिक नशे के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। यह दवा शेड्यूल एच-1 में आती है जिसे डॉक्टर की पर्ची के बिना नहीं बेचा जा सकता है। केंद्र सरकार ने भी इस दवा को एनडीपीएस के दायरे में लाया है। अब बिना बिल के ट्रेमाडोल दवा की खेप पकड़े जाने पर आरोपित को दस साल की सजा का प्रावधान किया गया है। ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी

दवा विक्रेताओं व फार्मा उद्योगों पर नजर रखने के लिए दवा नियंत्रक विभाग है। यह विभाग ड्रग इंस्पेक्टरों की कमी से जूझ रहा है। विभाग में ड्रग इंस्पेक्टरों के 44 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 16 ही पद भरे गए हैं। ये हैं मानक

-200 दवा दुकानों पर एक ड्रग इंस्पेक्टर तैनात करना जरूरी।

-50 फार्मा उद्योगों पर जरूरी है एक ड्रग इंस्पेक्टर। सूरत-ए-हाल

-06 हजार दवा दुकानें हिमाचल में दवा नियंत्रक विभाग के पास पंजीकृत।

-700 फार्मा उद्योग हैं हिमाचल में। पर्ची बिना प्रतिबंधित दवा बेची तो लाइसेंस रद

ड्रग एंड कॉस्मेटिक अधिनियम के तहत यदि कोई दवा विक्रेता डॉक्टर की पर्ची के बिना नशे के लिए दुरुपयोग की जाने वाली दवा बेचता है तो उसकी दुकान का लाइसेंस रद कर दिया जाएगा। आरोप सिद्ध होने पर तीन से पांच साल की सजा का प्रावधान है। दवा नियंत्रक विभाग की कार्रवाई

छापामारी,481

मामले पकड़े,81

लाइसेंस रद,10

सजा हुई,1

(आंकड़े वित्त वर्ष 2017-18 के) समय-समय पर होता है निरीक्षण

विभाग समय-समय पर दवा की दुकानों का निरीक्षण करता है। नशे के लिए दुरुपयोग होने वाली दवाइयों को डॉक्टर की पर्ची के बिना नहीं बेचा जा सकता है। नशे की दवा के काले कारोबार में सबसे अधिक युवा संलिप्त हैं।

नवनीत मारवाह, राज्य दवा नियंत्रक।


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